शब्दों के भेद, परिभाषा उदाहरण सहित : हिंदी व्याकरण भाग

 शब्दों के भेद, परिभाषा उदाहरण सहित : हिंदी व्याकरण भाग 

Differences of words, definitions with examples : Hindi Grammar

शब्द विभाग 

शब्द की परिभाषा 

वर्ण या अक्षरों का वह समूह जो अलग-अलग सुनाई दे सके, उसे शब्द कहते हैं । शब्द दो प्रकार के होते हैं -

१. सार्थक शब्द 

जिनका कुछ अर्थ हो; जैसे - जल, रोटी ।

२. निरर्थक शब्द

जिनका कोई अर्थ न हो; जैसे - जल-वल में 'वल' शब्द का कोई अर्थ नहीं है, अतः 'वल' निरर्थक शब्द है । व्याकरण में इस प्रकार के शब्दों पर

शब्दों के भेद 

शब्दों के प्रमुख भेद इस प्रकार हैं 

१. संज्ञा 

२. सर्वनाम 

३. विशेषण 

४. क्रिया 

५. क्रिया विशेषण 

६. सम्बन्ध बोधक 

७. समुच्चय बोधक 

८. विस्मयादि बोधक ।



संज्ञा 

संज्ञा की परिभाषा

किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या अवस्था के नाम को संज्ञा कहते हैं, जैसे - राम, लेखनी, पुस्तक, दिल्ली ।

संज्ञा के भेद 

संज्ञा के तीन प्रमुख भेद होते हैं -

१. जातिवाचक संज्ञा 

जिस संज्ञा शब्द से एक ही प्रकार अथवा जाति की सभी वस्तुओं का बोध होता हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं, जैसे - पुस्तक, लेखनी, नगर, वृक्ष, गाय, मनुष्य आदि ।

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२. व्यक्तिवाचक संज्ञा 

जिस संज्ञा शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे - रामायण, मोहन, गंगा, भारत, हिमालय आदि । हम प्रत्येक पुस्तक को रामायण नहीं कह सकते । इसी प्रकार प्रत्येक नदी को गंगा नहीं कह सकते । इसलिए 'रामायण', 'गंगा' आदि शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा हैं ।

३. भाववाचक संज्ञा 

जिस शब्द से किसी पदार्थ में पाए जाने वाले किसी गुण, अवस्था या व्यापार का बोध हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे - लम्बाई, मोटाई, सत्यता, लड़कपन, योग्यता आदि । ये शब्द किसी न किसी पदार्थ के गुण या उनकी अवस्था को प्रकट कर रहे हैं; अतः ये सब भाववाचक संज्ञा हैं ।


लिंग 

हिन्दी भाषा में दो लिंग होते हैं -

१. पुल्लिंग 

इससे पुरुष जाति का बोध होता है; जैसे - राम, गेहूँ, मकान, घोड़ा, हिमालय, अशोक आदि ।

२. स्त्रीलिंग

इससे स्त्री जाति का बोध होता है; जैसे - सीता, घोड़ी, गंगा, नारी, कोयल, मूंग, हिन्दी आदि ।

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वचन 

वचन के भेद 

हिन्दी भाषा में दो वचन होते हैं -

१. एकवचन 

शब्द के जिस रूप से एक पदार्थ का बोध होता है, उसे एकवचन कहते हैं; जैसे - नारी, मकान, नगर, लड़का आदि ।

२. बहुवचन 

शब्द के जिस रूप से एक से अधिक पदार्थों का बोध हो, उसे बहुवचन कहते हैं; जैसे - नारियाँ, मकानों, नगरों, लड़कों आदि ।

कारक 

कारक की परिभाषा 

संज्ञा और सर्वनाम के जिस रूप से उनका सम्बन्ध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ प्रकट किया जाए, उस रूप को कारक कहते हैं । कारक आठ प्रकार के होते है ।

१. कर्ता कारक 

काम के करने वाले को कर्ता कहते हैं; जैसे - अर्जुन ने बाण चलाया । इस वाक्य में अर्जुन काम का करने वाला है । अतः अर्जुन कर्ता कारक है। कर्ता का चिन्ह 'ने' होता है ।

२. कर्म कारक 

जिस पर काम का फल पड़े, उसे कर्म कहते हैं; जैसे - राम खेत को जोतता है । इस वाक्य में काम का फल 'खेत' पर पड़ रहा है । अतः 'खेत' शब्द कर्म कारक है । कर्म कारक चिन्ह 'को' होता है ।

३. करण कारक 

जिसके द्वारा या जिसकी सहायता से काम हो, उसे करण कारक कहते हैं; जैसे - वह लेखनी से लिखता है । इस वाक्य में लिखने का कार्य लेखनी के द्वारा हो रहा है । अतः लेखनी शब्द करण कारक है । करण कारक का चिन्ह 'से' होता है ।

४. सम्प्रदान कारक 

जिसके लिए काम किया जाए, उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं; जैसे - राम बच्चों के लिए मिठाई लाता है । इस वाक्य में बच्चों के लिए मिठाई आ रही है। अत: 'बच्चों' शब्द सम्प्रदान कारक है । सम्प्रदान कारक का चिन्ह 'के लिए' होता

५. अपादान कारक 

जिससे कोई वस्तु अलग हो, उसे अपादान कारक कहते हैं; जैसे - पेड़ से पत्ते गिरते हैं । इस वाक्य में 'पेड़' से पत्ता के अलग होने का भाव प्रकट होता है । अतः पेड़ शब्द अपादान कारक है । इसका चिन्ह ' (अलग होने के भाव में) है ।

६. सम्बन्ध कारक 

वाक्य में जहाँ शब्द का सम्बन्ध किसी संज्ञा से दिखाया जाता है, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं; जैसे - यह राम की पुस्तक है । इस वाक्य में राम का सम्बन्ध पुस्तक से दर्शाया गया है । अतः 'राम' शब्द सम्बन्ध कारक है । इसके चिन्ह 'का, की, के' हैं।

७. अधिकरण कारक 

इसके द्वारा किसी संज्ञा का आधार प्रकट होता है। जैसे - वृक्ष पर पक्षी हैं । यहाँ पक्षी का आधार वृक्ष है । अतः 'वृक्ष' शब्द अधिकरण कारक है । इसके चिन्ह 'में, पर' हैं ।

८. सम्बोधन कारक 

संज्ञा का वह रूप जिसके पुकारने या अपनी ओर सावधान करने का भाव प्रकट हो, सम्बोधन कारक कहलाता है; जैसे - अरे मोहन ! इधर आओ। इस वाक्य में मोहन को पुकारा गया है । अत: 'मोहन' शब्द सम्बोधन कारक है । इसके चिन्ह 'हे ! अरे !' हैं ।

संज्ञा शब्दों की शब्द निरुक्ति

संज्ञा शब्दों की शब्द निरुक्ति करते समय संज्ञा के भेद, लिंग, वचन, कारक और अन्य शब्दों से उसका सम्बन्ध बताना चाहिए । कुछ उदाहरण देखिए - 'राम ने कहा इन पुस्तकों में सत्यता को दर्शाया गया है ।'
राम - व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक, 'कहा' क्रिया का को । 
पुस्तकों - जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, बहुवचन, अधिकरण कारक 'दर्शाया' क्रिया का आधार है । - सत्यता - भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्म कारक 'दर्शाया' क्रिया का कर्म है। 

सर्वनाम 

सर्वनाम की परिभाषा 

किसी वाक्य में जो शब्द संज्ञा शब्दों के स्थान पर प्रयोग में आते हैं, उन्हें सर्वनाम कहते हैं; जैसे - मोहन बोला, आज मैंने पूरा पाठ पढ़ लिया है । इस वाक्य में 'मैंने' शब्द मोहन के लिए आया है । अतः 'मैंने' शब्द सर्वनाम है । सर्वनाम के छः भेद होते हैं - 

१. पुरुषवाचक सर्वनाम 

जो शब्द किसी व्यक्ति के बदले प्रयोग में आते हैं, वे पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं, जैसे - मैं, हम, तुम, वह आदि ।
पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते हैं -

(क) उत्तम पुरुष 

जो शब्द बात करने वाले व्यक्ति के लिए प्रयोग में आते हैं, वे उत्तम पुरुष कहलाते हैं; जैसे - मैं, हम, हमारे आदि ।

(ख) मध्यम पुरुष 

जिससे बात की जाये, उसके स्थान पर प्रयोग में आने वाले शब्द मध्यम पुरुष कहलाते हैं; जैसे - तुम, तुम्हें, आप आदि । 

(ग) अन्य पुरुष 

जिसके सम्बन्ध में बात की जाती है, उसे अन्य पुरुष कहा जाता है; जैसे- वे, वह, उन्हें आदि ।

२. निजवाचक सर्वनाम 

जो सर्वनाम वाक्य में कर्ता के लिए प्रयोग में आता है, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे - मैं स्वयं ही जा रहा हूँ । इस घाक्य में 'स्वयं' शब्द कर्ता के लिये आया है । अतः 'स्वयं' शब्द निजवाचक सर्वनाम है ।

३. निश्चयवाचक सर्वनाम 

जिससे किसी व्यक्ति या वस्तु का निश्चय बोध होता है, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे - यह रामायण है । इस वाक्य में 'यह' शब्द रामायण का निश्चित बोध कराता है । अतः 'यह' निश्चयवाचक सर्वनाम है ।

४. अनिश्चयवाचक सर्वनाम 

जिस सर्वनाम से किसी वस्तु का निश्चित बोध नहीं होता, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं जैसे - कोई आ रहा है। इस वाक्य में कोई शब्द से आने वाले का निश्चित ज्ञान नहीं होता । अतः यहाँ 'कोई' शब्द अनिश्चयवाचक सर्वनाम है ।

५. सम्बन्धवाचक सर्वनाम

जो सर्वनाम किसी संज्ञा शब्द से अपना सम्बन्ध सूचित करता है, उसे सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे - यह वही लड़की है जो कल मिली थी ।' इस वाक्य में 'जो' शब्द कल मिलने वाली और प्रस्तुत लड़की में सम्बन्ध प्रकट करता है । अतः 'जो' शब्द सम्बन्धवाचक सर्वनाम है ।

६. प्रश्नवाचक सर्वनाम 

जिस सर्वनाम से प्रश्न का बोध होता है, उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे - 'द्वार पर कौन है ? ' इस वाक्य में 'कौन' शब्द प्रश्न सूचित करता है । अतः 'कौन' शब्द प्रश्नवाचक सर्वनाम है ।


सर्वनाम शब्दों की शब्द निरुक्ति

सर्वनाम शब्दों की शब्द निरुक्ति में निम्नलिखित बातें अवश्य बतानी चाहिए - 
१. सर्वनाम का भेद, 
२. पुरुष, 
३. वचन, 
४. लिंग, 
५. कारक, 
६. अन्य शब्दों के साथ उसका सम्बन्ध ।
उदाहरण - मैं तुमको किसी की पुस्तक दूंगा । 
मैं - पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक, दूंगा' क्रिया का कर्ता ।
तुमको - पुरुषवाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्म कारक, 'दूंगा' क्रिया का कर्म ।
किसी - अनिश्चयवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, सम्बन्ध कारक, 'पुस्तक' शब्द से सम्बन्ध ।

विशेषण

विशेषण की परिभाषा  

जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं; जैसे - गाय हरी घास खाती है । इस वाक्य में 'हरी' शब्द घास की विशेषता को प्रकट करता है । अतः यहाँ 'हरी' शब्द विशेषण है ।
विशेषण के भेद - विशेषण के चार प्रमुख भेद होते हैं -

१. गुणवाचक विशेषण 

जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के गुण को प्रकट करता है; उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं; जैसे - बलवान शेर जंगल में दहाड़ रहा है। इस वाक्य में 'बलवान' शब्द से शेर का गुण प्रकट होता है । अत: यहाँ 'बलवान' शब्द गुणवाचक विशेषण है ।

२. संख्यावाचक विशेषण 

जो विशेषण किसी संख्या को बताते हैं, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं; जैसे - 'दूसरा पुरुष, छठा बालक, तीसरा वर्ग ।' इनमें 'दूसरा', 'छठा', 'तीसरा' शब्द संख्या प्रकट कर रहे हैं। अतः ये सब संख्यावाचक विशेषण है ।

३. परिमाणवाचक विशेषण 

जो शब्द नाप, तोल या परिमाण बतलाते हैं, उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते है; जैसे - दो लीटर दूध लाओ । इस वाक्य में 'दो लीटर' शब्द से दूध की नाप का बोध होता है । अत: 'दो लीटर' परिमाणवाचक विशेषण है ।

४. संकेतवाचक विशेषण 

जो विशेषण किसी वस्तु या प्राणी की ओर संकेत करता है, उसे संकेतवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे - यह गाय पाँच लीटर दूध देती है । इस वाक्य में 'यह' शब्द गाय की ओर संकेत कर रहा है । अतः यहाँ 'यह' शब्द संकेतवाचक विशेषण
विशेषण शब्दों की शब्द निरुक्ति 
विशेषण शब्दों की शब्द निरुक्ति में विशेषण के भेद, लिंग, वचन और उनका विशेष्य बताना चाहिए । 
[नोट - जिस संज्ञा शब्द की विशेषता बताई जाती है, उसे विशेष्य कहते हैं; जैसे - 'सुन्दर लड़की' । यहाँ 'लड़की' शब्द विशेष्य है ।]
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उदाहरण - इस पुस्तक में लिखा है कि दूसरे महायुद्ध में बहुत से सैनिक मारे गए । 
इस - संकेतवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, इसका विशेष्य 'पुस्तक' है । 
दूसरे - संकेतवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, इसका विशेष्य 'महायुद्ध' है । 
बहुत - संकेतवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, इसका विशेष्य 'सैनिक' है ।

क्रिया 

क्रिया की परिभाषा 

जिन शब्दों से किसी काम का करना या होना पाया जाता है, उन्हें क्रिया कहते हैं; जैसे 
१. सीता पढ़ती है । 
२. मोहन बाजार जाता है । इन वाक्यों में 'पढ़ती है' 'जाता है' शब्द क्रिया है ।

क्रिया के भेद 

क्रिया के दो भेद होते हैं

१.सकर्मक क्रिया 

जिस क्रिया के साथ उसका कर्म भी होता है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे - मोहन ने पुस्तक पढ़ी । इस वाक्य में पुस्तक 'कर्म' है, इसलिए 'पढ़ी' शब्द सकर्मक क्रिया है । 

२. अकर्मक क्रिया 

जिस क्रिया के साथ वाक्य में उसका कर्म न हो, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे - मोहन ने पढ़ा । इस वाक्य में कर्म नहीं है अतः 'पढ़ा' शब्द अकर्मक क्रिया है ।

वाच्य 

वाच्य की परिभाषा 

वाच्य क्रिया के उस रूपान्तर को कहते हैं जिससे यह जाना जाता है कि क्रिया में कर्ता की प्रधानता है या कर्म अथवा भाव की प्रधानता है ।

वाच्य के भेद

वाच्य के तीन प्रमुख भेद होते हैं -

१. कर्तृवाच्य 

यदि कर्ता के अनुसार क्रिया के लिंग, वचन आदि हों तो वह क्रिया कर्तृवाच्य कहलाती है; जैसे - सीता दूध पीती है । राम दूध पीता है । इसमें प्रथम वाक्य कर्ता स्त्रीलिंग है तो क्रिया भी 'पीती है' प्रयोग में आई है । द्वितीय वाक्य में कर्ता पुल्लिंग है तो क्रिया 'पीता है' प्रयोग की गई है । अतः यहाँ क्रिया कर्तृवाच्य है ।

२. कर्मवाच्य

यदि वाक्य में कर्म के अनुसार क्रिया के लिंग, वचन आदि हों तो वह क्रिया कर्मवाच्य कहलाती है; जैसे - राम ने पुस्तक पढ़ी । राम ने चित्र देखा । इन वाक्यों में क्रिया कर्म के अनुसार बदल गई है । अत: यहाँ क्रिया कर्मवाच्य है ।

३. भाववाच्य 

भाववाच्य की क्रिया पर कर्ता या कर्म का कोई प्रभाव नहीं पड़ता. है, वह सदा एकवचन, पुल्लिंग और अन्य पुरुष में रहती है; जैसे - गर्मी में सोया नहीं जाता । इस वाक्य में 'सोया' क्रिया भाववाच्य की क्रिया है ।

काल 

काल की परिभाषा 

क्रिया के जिस रूप से उसके होने के समय का बोध होता है, उसे 'काल' कहते हैं ।

काल के भेद 

काल के तीन भेद होते हैं - १. भूतकाल, २. वर्तमान काल, ३. भविष्यत काल ।

१. भूतकाल 

क्रिया के जिस रूप से उसके व्यवहार का समाप्त होना पाया जाता है; उसे भूतकाल कहते हैं । इसके छः भेद होते हैं - 

(१) सामान्य-भूत 

इसके द्वारा कार्य का सामान्य रूप से बीते हुए समय का होना दर्शाया जाता है। जैसे - राम यहाँ आया, वह बैठा, उसने पढ़ा । इस वाक्य में 'आया', 'बैठा' और 'पढ़ा' सामान्य भूतकाल की क्रियाएँ हैं ।

(२) आसन्न-भूत 

इससे यह जान पड़ता है कि काम भूतकाल में आरम्भ होकर अभीअभी समाप्त हुआ है; जैसे - राम यहाँ आया है । इस वाक्य में 'आया है' आसन्न-भूत की क्रियाएँ हैं ।

(३) पूर्ण- भूत 

इससे यह जान पड़ता है कि काम बहुत पहले पूरी तरह समाप्त हो राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा-7 चुका है; जैसे - राम यहाँ आया था। इस वाक्य में 'आया था' पूर्ण भूतकालिक क्रिया हैं ।

(४) संदिग्ध-भूत 

जिस क्रिया के भूतकाल में होने पर सन्देह हो, उसे संदिग्ध भूतकालिक क्रिया कहते हैं; जैसे - राम ने चित्र देख लिया होगा । यहाँ कार्य होने में सन्देह को दर्शाया गया है ।

(५) अपूर्ण-भूत 

भूतकाल की वह क्रिया जो अभी पूरी नहीं हुई है, उसे अपूर्ण भूतकाल की क्रिया कहते हैं; जैसे - राम पढ़ रहा था । यहाँ पढ़ने का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है ।

(६) हेतुहेतुमद्-भूत 

इससे यह प्रकट होता है कि क्रिया भूतकाल में पूर्ण हो जाती है किन्तु किसी कारणवश पूर्ण नहीं हुई है; जैसे - पुस्तक होने पर मैं अवश्य पढ़ता । इस वाक्य में 'पढ़ता' क्रिया हेतुहेतुमद् भूतकालिक क्रिया है ।।

२. वर्तमान काल 

इससे किसी क्रिया का वर्तमान काल में होना पाया जाता है; जैसे - राम पढ़ता है । इस वाक्य में 'पढ़ता' क्रिया वर्तमान काल में है । वर्तमान काल के दो भेद होते हैं -

(१) सामान्य-वर्तमान काल 

इससे क्रिया का सामान्य रूप से वर्तमान काल में होना पाया जाता है; जैसे - मोहन रोता है । यहाँ 'रोता है' क्रिया सामान्य वर्तमान काल में

(२) संदिग्ध वर्तमान 

इससे क्रिया का वर्तमान काल में होने का सन्देह रहता है; जैसे - आज मोहन पढ़ता होगा । इससे वाक्य में कार्य होने में सन्देह है । अतः क्रिया संदिग्ध वर्तमान कालिक कही जाएगी ।

३. भविष्यत काल 

जिससे किसी काम का आगे आने वाले समय में होना या करना पाया जाए, उसे भविष्यत काल कहते हैं; जैसे - मोहन रोएगा । यहाँ 'रोएगा' क्रिया भविष्यत काल में है । भविष्यत काल के दो भेद होते हैं .

(१) सामान्य भविष्यत काल 

इससे किसी कार्य का सामान्य रूप से भविष्यत काल में होना पाया जाता है; जैसे - राम पाठ पढ़ेगा । इस वाक्य में 'पढ़ेगा' क्रिया सामान्य भविष्यत काल की है ।

(२) सम्भाव्य भविष्यत काल 

इससे किसी कार्य के भविष्यत काल में होने की इच्छा मात्र पाई जाती है; जैसे - मैं बैलूं। यहाँ 'बैलूं' क्रिया सम्भाव्य भविष्यत काल की है ।

क्रिया शब्दों की शब्द निरुक्ति 

क्रिया शब्दों की शब्द निरुक्ति में निम्नलिखित बातें बताई जाती हैं -
क्रिया का भेद, वाच्य, लिंग, काल, वचन, पुरुष, क्रिया का अन्य शब्दों से सम्बन्ध ।
क्रिया की शब्द निरुक्ति का उदाहरण 
(क) सीता पुस्तक पढ़ रही है । (ख) वह लिख रहा है ।
पढ़ रही है - सकर्मक क्रिया, कर्तृवाच्य, सामान्य वर्तमान काल, स्त्रीलिंग, एकवचन, अन्य पुरुष, इसका कर्ता 'सीता' और कर्म 'पुस्तक' है ।
लिख रहा है - अकर्मक क्रिया, कर्तृवाच्य, सामान्य वर्तमान काल, पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष, इसका कर्ता 'वह' है ।

क्रिया विशेषण 

क्रिया विशेषण की परिभाषा 

जो शब्द वाक्य में क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं, वे क्रिया विशेषण कहलाते हैं; जैसे - वह जोर से रोता है । इस वाक्य में 'जोर' शब्द क्रिया विशेषण है क्योंकि वह 'रोता है' क्रिया की विशेषता प्रकट करता है । 

क्रिया विशेषण के भेद 

ये चार प्रकार के होते हैं -

१. कालवाचक क्रिया विशेषण 

इनसे समय का बोध होता है, जैसे - वह यहाँ प्रतिदिन आता है । इस वाक्य में 'प्रतिदिन' कालवाचक क्रिया विशेषण है । इसी प्रकार बहुधा, जब, तब, आज, कल, सवेरे, तुरन्त, सदा आदि शब्द भी कालवाचक क्रिया विशेषण

२. स्थानवाचक क्रिया विशेषण 

इनसे स्थान का बोध होता है, जैसे - वह बाहर सो रहा है । इस वाक्य में 'बाहर' शब्द से स्थान का बोध होता है । अतः यहाँ 'बाहर' शब्द स्थानवाचक क्रिया विशेषण है ।

३. परिमाणवाचक क्रिया विशेषण 

जो शब्द क्रिया के परिमाण (नाप या तोल आदि) को बतलाते हैं, वे परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहलाते हैं; जैसे - वह बहुत खाता है । इस वाक्य में 'बहुत' शब्द परिमाणवाचक क्रिया विशेषण है ।

४. रीतिवाचक क्रिया विशेषण 

इनसे किसी क्रिया के करने की रीति या ढंग का बोध होता है। जैसे - वह तेजी से दौड़ता है । इस वाक्य में तेजी से' शब्द रीतिवाचक क्रिया विशेषण है ।

क्रिया शब्दों की शब्द निरुक्ति 

क्रिया शब्दों की शब्द निरुक्ति में निम्नलिखित बातें बताई जाती हैं - (१) क्रिया विशेषण का भेद (२) उसका विशेष्य ।
उदाहरण - आप कहाँ जा रहे हो ? कहाँ - स्थानवाचक क्रिया विशेषण, 'जा रहे हो' क्रिया की विशेषता बतलाता है। 

सम्बन्धबोधक 

सम्बन्धबोधक  की परिभाषा 

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का सम्बन्ध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ प्रकट करते हैं, वे सम्बन्धबोधक कहलाते हैं; जैसे - तालाब में कमल खिल रहे हैं । इस वाक्य में 'में' शब्द के द्वारा तालाब और कमल का सम्बन्ध प्रकट होता है । अतः यहाँ 'में' शब्द सम्बन्ध बोधक है । 

सम्बन्धबोधक शब्दों की शब्द निरुक्ति 

इसकी शब्द निरुक्ति करते समय शब्द को छाँटकर उसका सम्बन्ध वाक्य के अन्य शब्दों से बताया जाता है; जैसे - पेड़ पर पक्षी बैठा
पर - सम्बन्ध बोधक, पक्षी से सम्बन्ध है ।

समुच्चयबोधक 

समुच्चयबोधक की परिभाषा 

जो शब्द दो वाक्यों या दो शब्दों को एक-दूसरे से जोड़ते हैं या अलग करते हैं; वे समुच्चयबोधक कहलाते हैं; जैसे - रमेश और राम बाग को गए । इस वाक्य में 'और' शब्द समुच्चयबोधक है क्योंकि वह 'रमेश' और 'राम' इन दोनों शब्दों को जोड़ता

समुच्चयबोधक के भेद 

यह छः प्रकार के होते हैं -

१. संयोजक 

जो दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ते हैं; जैसे - और, तथा, व आदि ।

२. वियोजक 

जो दो शब्दों या वाक्यों को अलग-अलग करते हैं; जैसे - या, अथवा, चाहे, तो, वा आदि ।

३. परिणाम दर्शक 

जो परिणाम प्रकट करते हैं; जैसे - अतः, इसीलिए, जो, कि, क्योंकि, अतएव आदि ।

४. संकेतवाचक 

जो संकेत प्रकट करते हैं; जैसे - यद्यपि, तो, तथापि, यदि, आदि । 

५. विरोध दर्शक

इनसे पहले कही हुई बात का विरोध प्रकट होता है; जैसे - परन्तु, लेकिन, मगर, पर, किन्तु आदि ।

६. व्याख्या वाचक 

इनसे पहले कही हुई बात की व्याख्या करते हैं; जैसे - अर्थात, यानि, मानो आदि ।

समुच्चय बोधक शब्दों की शब्द निरुक्ति 

इसमें समुच्चय बोधक का भेद बताना चाहिए कि यह वाक्य में क्या कार्य करता है । एक उदाहरण देखिए - "
राम या मोहन यह अमरूद खाएगा ।
या - समुच्चय बोधक, वियोजक, 'राम' और 'मोहन' को अलग-अलग करके बताता है।

विस्मयादिबोधक 

विस्मयादिबोधक की परिभाषा 

जो शब्द हर्ष विस्मय आदि को प्रकट करते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक कहते हैं । ये निम्न प्रकार के होते हैं -

१. विस्मय बोधक 

हे !, अरे !, अहो ! आदि । 

२. हर्ष बोधक 

आह !, वाह !, खूब !, शाबास ! आदि । 

३. शोक बोधक 

हाय-हाय !, राम रे ! आदि । 

४. घृणा बोधक 

छिः छिः !, धिक् धिक् ! आदि । 

५. आशीष बोधक

चिरंजीव रहो !, जीते रहो ! आदि । 

६. स्वीकार बोधक 

जी हाँ!, अच्छा !, हाँ हाँ ! आदि ।

विस्मयादि बोधक शब्दों की शब्द निरुक्ति 

इसमें शब्द को छाँटकर उसका भेद बताना चाहिए; 
जैसे - छिः छिः ! तुम्हें यह नहीं करना चाहिए था । 
छिः छिः- विस्मयादि बोधक, घृणाबोधक ।


महत्वपूर्ण प्रश्न - उत्तर

शब्द की परिभाषा क्या है ?
वर्ण या अक्षरों का वह समूह जो अलग-अलग सुनाई दे सके, उसे शब्द कहते हैं । शब्द दो प्रकार के होते हैं

संज्ञा की परिभाषा क्या है ?
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या अवस्था के नाम को संज्ञा कहते हैं, जैसे - राम, लेखनी, पुस्तक, दिल्ली । संज्ञा के तीन प्रमुख भेद होते है। 

कारक की परिभाषा क्या है ?
संज्ञा और सर्वनाम के जिस रूप से उनका सम्बन्ध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ प्रकट किया जाए, उस रूप को कारक कहते हैं । कारक आठ प्रकार के होते है ।

सर्वनाम की परिभाषा क्या है ?
किसी वाक्य में जो शब्द संज्ञा शब्दों के स्थान पर प्रयोग में आते हैं, उन्हें सर्वनाम कहते हैं; जैसे - मोहन बोला, आज मैंने पूरा पाठ पढ़ लिया है ।

विशेषण की परिभाषा क्या है ?
जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं; जैसे - गाय हरी घास खाती है ।

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