Best Moral Stories in Hindi for kids 2022 | नैतिक कहानियां हिंदी में

Best Moral Stories in Hindi for kids 2022 | सर्वश्रेष्ठ नैतिक कहानियां बच्चों के लिए हिंदी में


इस लेख में हम आपके लिए Moral stories in Hindi की बहुत सारी नई व सुनी हुई कहानियाँ लेकर आये है। इन रोचक कहानियों को आपने बचपन में अपने दादा दादी नाना नानी से जरूर सुना होगा। इन कहानियों से बच्चों को ज्ञान और शिक्षा के साथ साथ नैतिकता का ज्ञान आएगा। इन नैतिक हिंदी कहानियाँ से आप बहुत सारी अच्छी बात सीखेंगे। जिनको आप अपनी जीवन में प्रयोग करके सफलता पा सकते है। यह कहानियाँ बहुत ही रोचक है। जिनको पढ़कर आपको और बच्चों को बहुत आनंद आएगा। इनमे कुछ New Best moral short stories in Hindi 2022, दी गयी है। जिससे आपको नए समाज का अनुभव हो। यदि आप पुरानी कहानियाँ पढ़ कर बोर हो गए है तो। यहाँ पर हम आपको सबसे अच्छी 80 Moral stories in Hindi for kids दे रहे है।

Moral stories in Hindi – अन्धा और लँगड़ा


एक गाँव में एक अन्धा और एक लँगड़ा रहा करते थे। एक बार अचानक उस गाँव में आग लग गई। हवा बहुत तेज थी। हवा गाँव के एक सिरे से दूसरे सिरे तक बड़ी तेजी से फैल गई। अब सारे गाँव में आग लग गयी। सभी मनुष्य अपने घरों को छोड़कर भागने लगे। जानवरों को खोल दिया गया, वे भी भाग निकले। आग बहुत तेजी से बढ़ रही थी और एक-दूसरे की ख़बर तक न थी। ऐसी दशा में उस अन्धे और लंगड़े को सहारा देनेवाला कोई न रहा। वे दोनों बहुत परेशान थे; आग उनके निकट पहुँच चुकी थी और जान बचाने का कोई उपाय न सुझाई देता था। ।

इतने में अन्धे को एक उपाय सूझा। वह शरीर से बहुत मज़बूत था। उसने लँगड़े से कहा, "सुनो भाई लँगड़े ! तुम पैर से कमजोर हो, परन्तु तुम्हारी आँखें ईश्वर की कृपा से बिलकुल ठीक हैं। मेरा शरीर मजबूत है और टाँगों में ताक है। भाई, तुम मेरी पीठ पर सवार हो जाओ और मुझे मार्ग दिखाते चलो। इस प्रकार हम तुम अपनी जान बचा सकते हैं।"


लँगड़ा तुरन्त अन्धे की पीठ पर सवार हो गया और अन्धा तेजी से लँगड़े के बताये हुए मार्ग पर चलता रहा। इस प्रकार दोनों ने आग से अपनी जान बचा ली।

प्यारे बच्चो! मिल-जुलकर कार्य करने र कठिन-से-कठिन कार्य भी आसान हो जाता है।


प्रश्न
१. लँगड़े की आँख का लाभ अन्धे को कैसे हुआ ?
२. अन्धे के पैरों का लाभ लँगड़े को कैसे हुआ ?
३. मिल-जुलकर काम करने के लाभ बताओ।
४. बच्चो ! तुमने इस कहानी से क्या सीखा ?


Moral stories in Hindi – शेर और चूहा

एक जंगल में एक शेर रहता था। एक चूहा, जो भूख से परेशान था, दाने की खोज में वहाँ आ निकला। वह दाने ढूँढते-ढूँढ़ते शेर की पीठ पर चढ़ गया। शेर की आँख खुल गई। उसने चूहे को अपने पंजे में दबोच लिया।

शेर ने चूहे को मार डालना चाहा। चूहे ने गिड़गिड़ाकर कहा, "हे जंगल के राजा! मुझे न मारो, मुझसे भूल हो गयी। मुझे मारकर आपको कोई लाभ न होगा। यदि आप मुझे छोड़ देंगे तो शायद मैं भी कभी आपके कोई काम आ सकूँ और आपकी सहायता कर सकें।"

शेर चूहे की इन बातों को सुनकर हँसा और बोला, “यह छोटा-सा जानवर मेरी क्या मदद कर सकता है ?" यह कहकर चूहे को छोड़ दिया। चूहा खुश होकर भाग गया।

कुछ दिनों बाद एक शिकारी ने उसी जंगल में शेर को फंसाने के लिए जाल लगाया। अचानक शेर जाल में फंस गया, और जोर-जोर से दहाड़ने लगा। शेर की आवाज़ चूहे ने सुनी और सोचने लगा कि शायद यह वही शेर है जिसने मेरी जान को बख्शा था। वह बड़ी फुर्ती से वहाँ पहुँचा, जहाँ शेर जाल में फंसा हुआ था। देखा तो सचमुच वही शेर था। फिर क्या था? उसने तुरन्त अपने तेज दाँतों से जाल को बड़ी फुर्ती से कुतरना शुरू कर दिया और सारा जाल काट दिया। शेर जाल कटते ही तुरन्त उसके बाहर आ गया।

शेर ने कहा, "भाई चूहे, तुमने मेरी जान बचाई है। मैं इसके बदले तुम्हें क्या पुरस्कार दूँ ?"

चूहे ने कहा, "कुछ समय पहले आपने मुझे पकड़ लिया था। मैंने आपसे क्षमा माँगी थी, आपने मुझे क्षमा कर दिया था, और मुझे छोड़ दिया था। मैंने कहा था कि शायद मैं भी किसी दिन आपको कोई सहायता कर सकूँ। आप हँसे थे। आज मैंने आपकी जान बचाई है। अब पुरस्कार कैसा?"

प्रश्न
१. चूहे ने शेर से क्या कहा ?
२. शेर ने चूहे को क्यों छोड़ा ?
३. चूहे ने शेर को किस प्रकार छुड़ाया?


Moral stories in Hindi – सच्चाई की जीत

हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी का नाम '' तुमने सुना होगा। आप बहुत बड़े सूफी महात्मा व हुए हैं। आप जीलान में पैदा हुए। बगदाद शरीफ में आपका मजार है। नीचे इनके बचपन की सच्ची कहानी दी जाती है जिससे यह सिद्ध होगा कि 'साँच को आँच नहीं।

एक बार बड़ा काफिला बगदाद की ओर जा रहा था। रास्ते में उस पर डाकू टूट पड़े और लूट-मार करने लगे। काफिले में नौ वर्ष का एक बालक एक ओर चुपचाप खड़ा इस लूट-मार को देख रहा था। एक डाकू की नज़र लड़के पर पड़ी। उसने बालक से पूछा, "तेरे पास कुछ है ? "मेरे पास चालीस अशरफियाँ हैं", लड़के ने उत्तर दिया। डाकू हँसा और बोला, “क्या कहा तेरे पास चालीस अशरफियाँ हैं।" लड़के ने कहा। • "जी हाँ।"

डाकू ने लड़के का सारा शरीर टटोल डाला, परन्तु अशरफिया न मिली। वह डाकू लड़के का हाथ पकड़कर सरदार के पास ले गया और बोला, "यह बालक अपने पास चालीस अशरफियाँ बताता है। यह बात सरदार की समझ में न आयी। डाकू ने कहा, "मैंने इसकी तलाशी ली थी। अशरफियाँ मुझे नहीं मिलीं।" सरदार ने

लड़के से पूछा, "तेरी अशरफियाँ कहाँ हैं ?" ।

लड़के ने अपनी सदरी उतारी और उसके अस्तर को फाड़कर अशरफियाँ सामने डाल दी। 'डाकू हैरान रह गये।

सरदार ने पूछा, "लड़के! अशरफियों को इस प्रकार रखने का उपाय तुझे किसने बताया ?"

लड़के ने उत्तर दिया, "मेरी माँ ने इनको सदरी के अस्तर में सी दिया था जिससे किसी को इसका पता न चले।"

सरदार ने अचम्भे से पूछा, तुने इन भारफियों का हाल हमें क्यों बता दिया?"

बालक ने कहा, "मैं झूठ कैसे बोलता, क्योंकि चलते समय माँ ने मुझसे कहा था, बेटा झूठ कभी न बोलना। झूठ बोलना पाप है।" सरदार वे दिल पर बालक की बात का बड़ा प्रभाव पड़ा। वह कुछ सोचकर अपने साथियों से बोला, "यह छोटा बच्चा अपनी माँ का इतना कहना मानता है कि ऐसे संकट में भी झूठ नहीं बोला और हम लोग बड़े होकर भी ईश्वर के बताये रास्ते पर नहीं चलते और लूट-मार करते हैं।"

सरदार और उसके साथी डाकुओं ने उसी समय यह निश्चय किया कि अब हम लोग कभी लूट-मार नहीं करेंगे। उन्होंने लूटा हुआ सारा सामान उसी समय सबको वापस कर दिया। काफिले वाले अपना सामान पाकर बहुत प्रसन्न हुए और उस बालक का आदर करने लगे। यही बालक आगे चलकर अब्दुल कादिर जीलानी के नाम से सारे संसार में प्रसिद्ध हुआ। आज भी मुसलमानों में यह 'बड़े पीर' के नाम से प्रसिद्ध हैं। उनका मज़ार बगदाद में है। वहाँ हर साल बहुत से लोग दर्शन के लिए जाते हैं।

बच्चो ! देखो, सच बोलने वाले को किस तरह जीत हुई और आज सारा संसार उनका नाम बड़े आदर से लेता है। तुम भी हमेशा सच बोलो।

Moral stories in Hindi – सात भाई

एक किसान था। उसकी खेती-बारी अच्छी थी। उसके सात पुत्र थे। सब आपस में मिलकर रहते थे। कुछ बुरे लोगों ने किसान के पुत्रों में फूट डाल दी। वे आपस में लड़ने-झगड़ने लगे। किसान को यह देखकर बड़ा दुःख हुआ। उसने एक दिन सात पतली-पतली लकड़ियाँ एक साथ बाँधों, फिर सातों पुत्रों को बुलाया। पहले बड़े पुत्र से कहा, "पुत्र इस गट्ठर को तोड़ो.तो।"

उसने बहुत बल लगाया, परन्तु गट्ठर न टूटा।

किसान ने दूसरे पुत्र से कहा, "तुम तोड़ो।" उसने भी बहुत बल लगाया, परन्तु गट्ठर न टूटा। अब किसान ने रस्सी काट दो और सब लड़कों को एक-एक लकड़ी देकर कहा, 'अब अपनी-अपनी लकड़ी तोड़ो।"

सातों ने चटाचट अपनी-अपनी लकड़ियाँ तोड़ ही। किसान ने हँसकर कहा, "प्यारे पत्रो! तमने देखा, जब तक सातों पतली-पतली लकड़ियाँ एक-दूसरे से बँधी थीं तब तक इन्हें तोड़ना कितना कठिन था। जब ये अलग-अलग हो गयीं तो तुमने एक-एक करके तोड़ दिया। तुम सातों भाई जब तक आपस में प्रेम से रहोगे तब तक तुम्हें कोई भी कष्ट नहीं पहुंचा सकता। जब लड़ाई झगड़ा करके अलग-अलग हो जाओगे तब तम्हें सब दुःख पहुँचा सकेंगे। मेरी इस समय की खात को सदा ध्यान में रखना कि 'एकता में बल है' | "

प्रश्न

किसान के कितने पुत्र थे!
बुरे लोगों ने क्या किया?
किसान ने अपने पुत्रों को एकता का पाठ कैसे पढ़ाया ?


Moral stories in Hindi – पिता और पुत्र

एक जवान बाप अपने छोटे पुत्र को गोद में लिये बैठा था। कहीं से उड़कर एक कौआ उनके सामने खपरैल पर बैठ गया। पुत्र ने पिता से पूछा, यह क्या है ?

पिता, "कौआ है ?"

पुत्र ने फिर पूछा, "यह क्या है ?"

पिता ने फिर कहा, "कौआ हैं।"

पिता स्नेह से बार-बार कहता था, कौआ है।

कुछ वर्षों में पुत्र बड़ा हुआ और पिता बूढ़ा हो गया। एक दिन पिता चटाई पर बैठा था। घर में कोई उसके पुत्र से मिलने आया। पिता ने पूछा, "कौन आया है ?" पुत्र ने नाम बता दिया। थोड़ी देर में कोई और आया और पिता ने फिर पूछा। इस बार झल्ला कर पुत्र ने कहा, "आप चुपचाप पड़े क्यों नहीं रहते ? आपको कुछ करना-धरना तो है नहीं। कौन आया है, कौन गया है, यह टॉय-टाँय दिनभर क्यों लगाये रहते हैं ?"


पिता ने लम्बी साँस खोंची। हाथ से सिर पकड़ा। बड़े दुःख-भरे स्वर में धीरे-धीरे वह कहने लगा, "मेरे एक बार पूछने पर अब तुम क्रोध करते हो और तुम सैकड़ों बार पूछते थे एक ही बात-'यह क्या है ?' मैन कभी तुम्हें झिड़का नहीं। मैं बार-बार तुम्हें बताता था-कौआ।"

अपने माता-पिता का तिरस्कार करने वाले ऐसे लड़के बहुत बुरे माने जाते हैं। तुम सदा इस बात का ध्यान रखो कि माता-पिता ने तुम्हारे पालन-पोषण में कितना कष्ट उठाया है और तुमसे कितना स्नेह किया है।

प्रश्न

बेटे ने बाप से क्या पूछा ?
बाप ने पुत्र से क्या पूछा ?
लड़के ने पिता के साथ कैसा व्यवहार किया ?


Moral stories in Hindi – रेगिस्तान का जहाज़


ऊँट रेगिस्तान का एक ऐसा पशु है जिसके बिना वहाँ के रहने वालों का जीवन कठिनाई से बीतता है । जहाँ घोड़े और दूसरे पशुओं से काम नहीं चल सकता, वहाँ ऊँट ही काम आता है। इसके पाँव कुछ ऐसे होते हैं कि वह रेत में फंसते ही नहीं। इसीलिए ऊँट को रेगिस्तान का जहाज़ कहा जाता है।

ऊँट का शरीर सुन्दर हो, उस पर का सामान सुन्दर हो तो ऊँट पर सफर करना बड़ा मनोरंजक होता है। अच्छे ऊँट एक रात में दो सौ किलोमीटर तक चले जाते हैं। सवारी करने के अलावा ऊँट पर बोझा लादा जाता है। अमीरों और साहकारों के यहाँ आज भी हजारों ऊँट रहते हैं। ये वनों में घूम-घूमकर चरते हैं। इनको “वर्ग" कहते हैं। वर्ग के साथ रहने वाले आदमियों को "राइका" कहते हैं।

ऊँट में बदला लेने की आदत बहुत होती है। अपने बैरी को एक बार देख लेने पर यह जन्मभर याद रखता है और अवसर आने पर उसकी जान लेने पर उतारू हो जाता है। ऐसी बातें सुनने में आती हैं कि ऊँट ने अमुक की जान ले ली, क्योंकि उसने उसे बहुत पीटा था। कई दिनों तक बिना जल के रह जाना इस पशु के लिए कोई कठिन बात नहीं। ऊँचे-ऊँचें पेड़ों से यह अपनी लम्बी गर्दन के द्वारा पत्तियाँ तोड़कर खा लेता है। यह बोझ उठाने में बड़े काम का जानवर है। अनाज की भरी तीन-तीन बोरियाँ एक साथ उठा लेंना इसके लिए बड़ी बात नहीं। सारे दिन काम करके जब ऊँट थक जाता है तो इसका मालिक इसे फिटकरी घोलकर पिला देता है जिससे इसमें फिर ताज़गी आ जाती है।

ऊँट की आयु पच्चीस वर्ष से अधिक नहीं होती। मरने के पश्चात् इसकी हड्डियाँ बहुत से कामों में आती हैं। इससे खिलौने बनायें जाते है और खालों से बड़े-बड़े कुप्पे बनाये जाते है जिनमे घी और तेल रखा जाता है।

प्रश्न

ऊँट को रेगिस्तान का जहाज क्यों कहा जाता हैं?
ऊँट से क्या क्या काम लिया जाता है ?
'राइका' किसे कहते है ?
ऊँट की खाल किस काम आती है ?


Moral stories in Hindi – दो मित्र


एक गाँव में दो मित्र रहते थे। उन दोनों में बड़ी मित्रता थी। दोनों हर समय इकट्ठे रहते थे। पढ़ते-लिखते, चलते-फिरते, सोते-जागते अर्थात् वे कभी एक-दूसरे से अलग नहीं होते थे।

कुछ समय बीतने के बाद उनमें से एक बादशाह का मंत्री बन गया। जिस दिन से वह मंत्री बना, उसके मित्र ने उससे मिलना-जुलना बिलकुल छोड़ दिया। इस प्रकार काफी समय बीत गया।

एक दिन किसी आदमी ने उससे पूछा, "इतना समय बीत गया पर आपका मंत्री मित्र आपसे मिलने नहीं आया और न आप ही अपने मित्र से मिलने गये । क्या कारण है ?"

उसने उत्तर दिया, "भाई सुनिए ! न मैं उससे मिलना चाहता हूँ और न मुझे उससे मिलने की आवश्यकता ही है।"

जहाँ यह बात हो रही थी, वहाँ एक ऐसा मनुष्य बैठा था, जो प्रायः मन्त्री से मिलता रहता था। उसने अचरज से पूछा, "क्यों भाई, मंत्री ने ऐसा कौन-सा अपराध किया है जो आप उनसे मिलना भी नहीं चाहते?" मंत्री के मित्र ने उत्तर दिया, "मेरे मंत्री मित्र ने अपराध तो कोई नहीं किया, परन्तु उनसे मिलने का समय तो तब आएगा जब वह मंत्री के पद से अलग हट जाएँगे। क्योंकि जब मनुष्य ऊँचे पद पर होता है तो वह अपने मित्रों और दूसरे साथियों को भूल जाता है और घणा करने लगता है, उनसे मिलना-जुलना अपनी मर्यादा के विरुद्ध समझता है। पर, जब वह अपने पद से नीचे आ गिरता है तब वह सचेत होता है, तभी वह अपने मित्रों का मित्र होता है और सच्चे हृदय से आपस में मिलता और दुःख-सुख में भाग लेता है।"

प्रश्न 
१. आदमी ने मंत्री के मित्र से क्या पूछा ?
२. मंत्री के मित्र ने क्या उत्तर दिया ?


Moral stories in Hindi – गुरू की गरिमा


पहले मुसलमानों के बादशाह ख़लीफ़ा कहलाते थे।

हारून रशीद एक प्रसिद्ध ख़लीफ़ा थे। उनके दो लड़के थे। एक का नाम अमीन और दूसरे का नाम मामून था। इन दोनों लड़कों को पढ़ाने एक गुरूजी प्रतिदिन आते थे। दोनों लड़के गुरूजी का बड़ा सम्मान करते और उनकी आज्ञा का पालन करते।

एक दिन दोनों लड़कों की परीक्षा लेने के लिए गुरूजी ने कहा, “मेरा जूता उठा लाओ"। अमीन और मामून दोनों जूता उठाने के लिए दौड़ पड़े। अमीन ने मामून से कहा, "गुरूजी ने जूता लाने के लिए मुझसे कहा है"। मामून ने कहा, "नहीं, जूता उठाकर लाने के लिए मुझसे कहा है।" अमीन ने कहा, “तुम छोटे हो, मुझे जूता ले जाने दो, गुरूजी का संकेत मेरी ओर था"। मामून ने कहा, “आप मेरे बड़े भाई हैं, अगर यह मान भी लिया जाये कि गुरूजी ने आप ही को जूता लाने को कहा है, तो भी मैं आपका छोटा भाई हूँ, छोटे भाई के होते हुए बड़ा भाई जूता उठाकर न ले जाये"।

दोनों भाई देर तक बहस करते रहे। अन्ततः दोनों राजकुमार गुरूजी का एक-एक जूता उठाकर ले गये। गुरूजी ने दोनों को दुआयें दी और और शाबाश कहा।

गुरूजी के जूते उठाकर ले जाने का समाचार खलीफ़ा हारून रशीद तक पहुँच गया। खलीफ़ा ने प्रधानमंत्री को बुलाकर आदेश दिया कि “कल आम दरबार होगा, आप मेरी सल्तनत में मनादी करा दीजिए।"

दूसरे दिन आम दरबार लगा। दरबार में आदमी खचाखच भरे थे। सभी दरबारी अपनी-अपनी जगह अदब के साथ बैठे थे। ख़लीफ़ा जब दरबार में पधारे तो सब अदब के साथ खड़े हो गये। ख़लीफ़ा ने हुक्म दिया, "लड़कों के गुरूजी को बुला लाओ।" गुरूजी शहज़ादों को पढ़ा रहे थे। हरकारा पहुँचा और उसने कहा, "आपको ख़लीफ़ा ने याद किया है, फ़ौरन शहज़ादों को साथ लेकर चलिए।" .

गुरूजी के पैरों तले से ज़मीन निकल गई। सोचा, खैर नहीं। शहज़ादों को साथ लेकर गुरूजी दरबार में पहुँचे। गुरूजी को देखकर ख़लीफ़ा अपने तख्त से नीचे उतर आये और अदब के साथ खड़े रहे। सारे दरबारी भी खड़े हो गये। गुरूजी ने ख़लीफ़ा के पास पहुँचकर कहा, "अस्सलाम व अलैकुम।" शहजादों ने भी कहा, "अस्सलाम व अलैकुम।" खलीफ़ा और दरबारियों ने कहा, "व अलैकुम अस्सलाम" ख़लीफ़ा ने मोल्वी साहब को तख्त पर बैठने के लिए कहा और स्वयं भी तख्त पर बैठ गये।

खलीफ़ा ने दरबारियों से पूछा, "बताओ, दुनिया में सबसे अधिक भाग्यशाली व्यक्ति कौन है ?" दरबारी बोल उठे, “जहाँ पनाह (महाराज)! आप के अलावा कोई दूसरा नहीं।" खलीफ़ा ने कहा, "नहीं, दुनिया में सबसे अधिक भाग्यशाली वह है जिसका जूता उठाने के लिए दो शहज़ादे आपस में लड़ते हैं और बहस करते हैं।"

प्रश्न

१. हारून रशीद के लड़कों के नाम बताओ।
२. दोनों लड़के गुरूजी का जूता क्यों उठाना चाहते थे?
३. गुरूजी को देखकर ख़लीफ़ा अपने तख्त से नीचे क्यों उतर गये?



Moral stories in Hindi – गुरू नानक

अच्छे और नेक लोगों से दुनिया कभी खाली नहीं रही। यह अच्छे लोग दुनिया वालों को हमेशा अच्छी और नेक बातें बताते रहे हैं। यह लोगों को बुराई से रोकते

और भलाई की ओर बुलाते हैं। यह दुनिया में अल्लाह के सिवा किसी से नहीं डरते। उनकी दृष्टि में अमीर-गरीब, राजा और रंक सब एक समान होते हैं। यह ऊँच-नीच और भेदभाव को नहीं मानते और सबको प्यार करते हैं।

गुरूनानक भी उन्हीं लोगों में से एक हैं। गुरूनानक का जन्म लाहौर के पास 'तलवन्डी' नामक गाँव में हुआ था। यह गाँव अब 'ननकाना साहब' कहलाता है और अब यह स्थान पाकिस्तान में है। हर वर्ष बड़ी संख्या में लोग वहाँ हाज़िरी देते हैं। हमारे देश से भी हज़ारों सिख यात्री प्रतिवर्ष वहाँ जाते हैं।

बचपन में एक दिन गुरूनानक जी जानवर चराने गये। धूप बहुत तेज़ थी। वह एक पेड़ के नीचे सो गये। धूप फैलते-फैलते उनके मुख पर आ गयी। एक काला साँप आया और उसने अपना फन फैलाकर उनके चेहरे पर छाया कर लिया। इस घटना के बाद लोग उन्हें और भी मानने लगे। इनके मानने वालों में हिन्दू और मुसलमान दोनों थे। उनका कहना था कि सब अल्लाह के बन्दे हैं। गुरूनानक के प्रिय शिष्यों में मर्दाना नाम का एक मुसलमान था। इसी प्रकार एक चेला बाला था जो हिन्दू था। यह दोनों हर समय गुरुनानक जी की सेवा में रहते।

गुरुनानक जी ने दूर-दूर की यात्रायें की और लोगों को नेक बातें बतायी।

गुरुनानक जी के अनुयायी सिख कहलाये। सिख बाबा नानक को अपना पहला गुरू मानते हैं। गुरुनानक के बाद उनके उत्तराधिकारी या 'जानशीन' 'गुरू' कहलाये।

गुरुनानक जी की वाणी और अच्छी बातें 'ग्रन्थ साहब' नामक पुस्तक में लिखी हैं। यह सिखों की पवित्र पुस्तक है जिसका पाठ गुरुद्वारों में किया जाता है।

गुरुनानक जी ने हमेशा प्रेम व मुहब्बत और ईश्वर की भक्ति की शिक्षा दी है।

प्रश्न

१. अच्छे लोग दुनिया वालों को क्या बताते है ?
२. गुरुनानक का जन्म कहा हुआ था ?
३. 'ग्रन्थ साहब' में क्या लिखा है ?

Moral stories in Hindi – एक होनहार बालक


लगभग दो सौ वर्ष पहले की बात है। घटना अपने ही प्रदेश में हरदोई के पास मल्लावाँ की है। एक आठ साल का बालक अपने पिता के साथ मल्लावाँ से चलता है। पिता के हाथ में एक पिंजड़ा है। पिंजड़े में एक तोता है। खेतों से गुज़रते हुए पिता ने खेत से काकुन की एक बाली तोड़कर पिंजड़े में डाल दी। तोता बाली के दाने खाने लगा। यह देखकर बालक ठिठककर खड़ा हो जाता है। पिता के बार-बार बुलाने पर भी वह आगे नहीं बढ़ता। पिता हैरान होकर पूछता है, “आओ, क्यों खड़े हो गये ?" आठ साल का बालक कहता है, "पिता जी ! आपने किसान के खेत से काकुन की बाल बिना उससे पूछे तोड़ ली। मैं आप के साथ नहीं जाऊँगा। जब खेत का मालिक आयेगा तो उससे माफ़ कराके जाऊँगा।" पिता चकित होकर अवाक् रह जाता है और पिंजड़े से काकुन की बाली निकालकर फेंक देता है, तब वह बालक वहाँ से आगे बढ़ता है।

उस बालक का नाम था फ़ज़ले रहमान जो बड़ा होनहार मौलाना फ़ज़ले रहमान गंज मुरादाबादी के नाम से मशहूर हुआ और जिसके दर्शन और सत्संग के लिए प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आया करते थे।

किसी की चीज़ बिना पूछे नहीं लेना चाहिए और चोरी तो बहुत ख़राब बात है, इससे हर हाल में बचना चाहिए।



प्रश्न
१. बालक चलते चलते ठिठककर खड़ा क्यों हो गया ?
२. इस पाठ से तुम्हे क्या शिक्षा मिलती है ?



Moral stories in Hindi – गाँव और शहर


दानिश और ताबिश दो गहरे मित्र हैं। दानिश गाँव का रहने वाला है और ताबिश शहर का निवासी है। दानिश और ताबिश में एक दिन बहस छिड़ गई। दानिश गाँव के जीवन की वकालत करता और ताबिश शहरी जीवन की हिमायत करता।

दानिश : गाँव में हमको खुली हवा मिलती है, स्वच्छ वातावरण रहता है। प्रदूषण नहीं रहता। जीवन में सादगी होती है। रहने-सहने और खेलने-कूदने के लिए काफ़ी जगह होती है। शहर में यह सब कहाँ नसीब होता है ? वहाँ तो दम घुटता है।

ताबिश : शहर का जीवन सुखमय है। यहाँ बहुत सारी सुविधायें उपलब्ध होती हैं। विद्युत् है, पानी है, सड़कें हैं, आने-जाने के साधन हैं, पार्क हैं, स्कूल-कालेज हैं, अस्पताल हैं और जरूरत की सभी चीजें उपलब्ध हो जाती हैं।

दानिश : क्या तुम उसी बिजली की बात कर रहे हो जो अक्सर बिना बताये चली जाती है और जब वह नहीं आती तो पानी आने का नाम नहीं लेता। तंग गलियों में और घरों में गर्मी से बुरा हाल हो जाता है। क्या वही पार्क जहाँ कूड़ों के ढेर जमा रहते हैं, इनसे तो कहीं अच्छी हमारी बगिया है। चाहे क्रिकेट खेलें या सुर-डंडी।

ताबिश : शहर वालों का जीवन स्तर ऊँचा होता है।

अच्छा पैसा कमाते हैं, अच्छा खाना खाते हैं, बढ़िया कपड़े पहनते हैं, पक्के और साफ सुथरे घरों में रहते हैं। कहीं आना-जाना हुआ सवारी से मिनटों में पहुँच जाते हैं। यहाँ टी०वी० देखने को मिलती है, सिनेमा घर हैं, क्लब हैं, चकाचौंध कर देने वाले बाजार हैं, फ्रिज की सुविधा है कोई फल आदि इसमें कई दिनों तक रख सकते हैं और वह खराब नहीं होंगे।

दानिश : जीवन स्तर पैसे से ऊँचा नहीं होता, ज्ञान से ऊँचा उठता है। दौलत अन्धी होती है। इल्म इन्सानियत का जेवर है, इल्म से आदमी सँवरता है। यह टी० वी० तो हमारी आँखों की रोशनी कम करते हैं। कोई फल या खाना बासी करके खाना हो तो फ्रिज ले ले। गाँव की हर चौपाल क्लब है। यहाँ जीवन की सरसता है, सादगी है, सज्जनता है, शराफ़त है, आनन्द ही आनन्द है।

ताबिश : शहर में तो हर चीज़ आसानी से मिल जाती है। देहात में यह बात कहाँ।

दानिश : तुम शहर में जिन चीजों के मिलने की बात कर रहे हो वह सारी की सारी चीजें पैदा तो गाँवों में की जाती हैं। अब तो गाँवों में भी सड़कें हैं, स्कूल-कालेज हैं, अस्पताल और दुकानें हैं और फिर यह कि हमारे देश की तीन चौथाई जनसंख्या तो गाँवों में ही रहती है।

ताबिश : किन्तु इन गाँवों का विकास तो शहरों में रहने वाली एक चौथाई जनसंख्या ही करती है।

दोनों मित्र बहस कर रहे थे कि उनके उस्ताद का उधर से गुज़र हुआ। गुरुजी ने दोनों की बातें सुनीं और कहा कि देखो! सच बात यह है कि गाँव और शहर एक दूसरे पर निर्भर हैं। दोनों का विकास हो इसी से देश का विकास होगा। कोई छोटा-बड़ा नहीं, दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।


प्रश्न
१. गाँव की तीन विशेषतायें लिखो।
२. शहर में प्राप्त तीन सुविधाओं के बारे में लिखो।
३. अपने गाँव या शहर पर पाँच वाक्य लिखो।


Moral stories in Hindi – सच्ची मित्रता


एक बार दिल्ली के सम्राट हुमायूँ से पठानों का युद्ध हुआ। पठानों के प्रधान शेरशाह ने हुमायूं को पराजित कर दिया। हुमायूं अपने प्राण लेकर ईरान की ओर चला गया तथा उसके साथी भी तीन-तेरह हो गये।

बैरम खाँ हुमायूँ का सबसे विश्वास-पान सेनापति था। वह हर समय अपने स्वामी के लिए प्राण देने पर तत्पर रहता था। शेरशाह उससे बहुत भय खाता था। अतः पठान सैनिक उसकी खोज में चारों दिशाओं में घूमते थे।

बैरम खाँ का एक मित्र था जिसका नाम अबुल कासिम था। वे दोनों सज-धज तथा रूप-रंग में मिलते-जुलते थे। वे भेष बदलकर साथ-साथ घूम रहे थे। रात-दिन यही चिन्ता लगी रहती थी कि न जाने किस क्षण प्राण संकट में पड़ जायें। राणा

एक दिन शेरशाह के सैनिकों से उनकी मुठभेड़ हो गयी। सेनानायक ने पूछा, "तुम कौन हो?" उन्होंने उत्तर दिया, भाई ! "हम लोग थके हुए यात्री हैं। इस वृक्ष की छाया में बैठ कर तनिक दम ले रहे हैं।" नायक ने उनकी बातों को सत्य न समझा तथा उसने अपने सैनिकों से पूछा, "तुम में से कोई इनको पहचानता है ?" एक बूढ़ा सैनिक अबुल क़ासिम की ओर देख कर कहने लगा, यह बैरम खाँ है।"



दोनों क्षण-भर मौन रहे। परन्तु बैरम खाँ अपने मित्र के प्राण संकट में पड़ते देखकर काँप उठा। वह बोला "बैरम खाँ तो मैं हूँ।" यह सुनते ही अबुल कासिम खड़ा हो गया तथा उसने कहा, "बैरम खाँ मैं हूँ। यह तो मेरा सेवक है।" बैरम खाँ ने सैनिकों को लाख समझाया कि यह सत्य नहीं कह रहा है। मेरी मित्रता में यह अपने को बैरम खाँ सिद्ध कर रहा है क्योंकि इसे भय है कि कहीं मैं मार न डाला जाऊँ। भाई, इसको नहीं, मुझको मारो। मैं ही वास्तविक बैरम खाँ हूँ। यह तो मेरा मित्र अबुल क़ासिम है। कि पठान नायक ने बैरम खाँ के तर्क को न माना । तलवार का एक ऐसा हाथ मारा कि अबुल क़ासिम का शीश धड़ से अलग हो गया। मरते समय अबुल क़ासिम के मुखमंडल पर तनिक भी उदासी न थी।

उसने हँसते-हँसते अपने प्राण दे दिये। इस प्रकार उसने मित्र के जीवन की रक्षा की। सच्ची मित्रता इसको कहते हैं।

प्रश्न
१. हुमायूँ को किसने पराजित किया ?
२. बैरक खां से शेरशाह क्यों भय खाता था?


Moral stories in Hindi – नीयत का फल

किसी गांव में एक किसान रहता था। उसके पास समीन तो ज्यादा न थी पर उसकी नीयत अच्छी थी। उसका नियम था कि जब वह अपने खेत की फ़सल काटता या बाग में से मेवे तोड़ता तो उसमें से आधा भाग खुदा की राह में बाँट देता। फिर जब अन्न घर लाता तो आधा खुदा की राह में सदका करता। उस किसान की यह भी भादत थी कि जब घर में खाना तैयार होता तो उस पके हए खाने में से आधा खाना गरीबों, भिखारियों, विधवाओं, अनाथों को खिलाकर तब स्वयं खाता। उसने कभी अपने दस्तरख्वान पर अकेले खाना नहीं खाया। उसने अपने पूरे जीवनकाल में इस नियम का कठोरता से पालन किया।

उसके मरने के बाद उसके तीनों पुत्र उसके धनसम्पति के स्वामी हुए। लड़के अपने पिता की भांति कुछ समय तक चलते रहे। परन्तु पिता का अनुसरण करना उनके लिए टेढ़ी खीर हो गया।

जब फ़सल तैयार हो गयी तो फ़सल की उपज देखकर मुंह में जल भर आया। मन में खिचड़ियाँ पकाने लगे। अन्त में उनसे रहा न गया और एक-दूसरे ने अपने-अपने विचार प्रकट किये और बाग़ से मेवे तोड़ने और खेत की फ़सल काटने का आपस में परामर्श किया। अन्ततः यह तय किया कि खेत दिन में काटना ठीक नहीं है क्योंकि अगर हम ऐसा करेंगे तो निर्धन तथा भिखारी घेर लेंगे और आधा या कुछ कम उनको देना पड़ेगा। इसलिए उचित यही है कि रातों-रात यह सारा कार्य कर लेना चाहिये। अपना अन्न और अपने मेवे सबके सब अपने घर भी ले आयेंगे और माँगने वालों को टका-सा जवाब भी देना पड़ेगा। साँप भी मर जाय और लाठी भी न टूटे। इस परामर्श के बाद वह अपनेअपने बिस्तरों पर कुछ देर आराम करने के लिये चले गये।

उस रात्रि इतने ओले गिरे कि उनके खेत और बगात सब बरबाद हो गये। ऐसा मालूम होता था जैसे इस जगह पर कोई वस्तु बोई ही नहीं गयी थी। अब केवल मैदान के सिवा वहाँ कुछ न था। जब वे किसान अपने खेत और बाग़ फ़सल काटने और फल तोड़ने गये तो वहाँ कुछ न पाया। वे बहुत चकित और दुःखित हुए और हाथ मलकर रह गये । आपस में तू-तू मैं-मैं करने लगे। उन्हें खाली हाथ घर लौटना पड़ा। अपने किये हुए पर अधिक लज्जित हुए और तीनों भाइयों ने प्रतिज्ञा की कि अब सदा अपने पिता के पथ पर ही चलेंगे और जिनका जो अधिकार हमारे पिता के समय में था उसको अवश्य देंगे।

बच्चो ! देखा तुमने, नीयत का फल मनुष्य को कैसे मिलता है ? तुम लोग सदा अच्छी नीयत रखना।

प्रश्न
१. किसान और उसके पुत्रों में क्या भिन्नता थी?
२. किसान के पुत्रों ने रात को खेत काटने और फल तोड़ने का इरादा
क्यों किया?
३. तुमने इस पाठ में क्या-क्या अच्छी बातें पायीं ?

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