रामचरित मानस के कांड, अयोध्याकांड के आधार पर राम का चरित्र

 रामचरित मानस के अयोध्याकांड के आधार पर राम का चरित्र


रामचरित मानस, संत तुलसीदास द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण हिन्दी काव्य ग्रंथ है जो श्रीराम की कहानी पर आधारित है। अयोध्याकांड रामचरित मानस का एक अंश है, जिसमें भगवान राम का अयोध्या नगर में राजा बनना और उनका वनवास होता है। यहां राम का चरित्र धर्म, करुणा, और सामर्थ्य की प्रतिष्ठा के साथ वर्णित है।


धर्मपरायणता (धर्म के प्रति समर्पण): रामचरित मानस में राम को धर्मपरायण, नीतिमान, और आदर्श पुरुष के रूप में चित्रित किया गया है। राम ने अपने पिताजी के वचनों का पालन करते हुए राजा बनने का परिचय किया और धर्म का पालन करते हुए अपने राज्य को न्यायपूर्ण बनाया।


करुणा और सहानुभूति: राम का चरित्र उदार और करुणाशील है। उन्होंने अपने पिता के वचन का पालन करते हुए भी अपनी पतिव्रता सीता को हरण कर लिया, लेकिन उनका दर्द और उनकी सहानुभूति उन्हें एक मानवीय रूप में दिखाती है।

वीरता और साहस: राम एक उत्कृष्ट योद्धा भी थे। उन्होंने लव-कुश के साथ युद्ध किया और अपनी वीरता का प्रदर्शन किया।


पतिव्रता सती: रामचरित मानस में सीता को एक पतिव्रता सती के रूप में प्रशंसा की गई है। राम और सीता का प्रेम एक आदर्श पति-पत्नी के रूप में प्रस्तुत किया गया है।


रामचरित मानस के अयोध्याकांड में, राम का चरित्र उनके धार्मिक और नैतिक गुणों के जरिए व्यक्त होता है, जिससे वह एक मानवता के आदर्श बनते हैं।


रामचरित मानस के कांड

"रामचरित मानस" में समाहित हैं सात कांड (बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड, उत्तरकांड) जो भगवान राम के जीवन की कहानी को विस्तार से बताते हैं।


बालकांड (बालकाण्ड): 

इस कांड में बाल राम का जन्म, उनके बचपन की कहानी, ब्रह्माजी द्वारा महर्षि विश्वामित्र के साथ बाल राम की मुलाकात, तातका वध, श्रीराम की विवाह संस्कृति, और पिता दशरथ जी के आदर्श राजा होने का वर्णन है।


अयोध्याकांड (अयोध्याकाण्ड): 

इस कांड में राम का वनवास, भरत की श्रीराम से मिलन की कोशिश, श्रीराम का विवाह और दशरथ जी की मृत्यु का वर्णन है।


अरण्यकांड (अरण्यकाण्ड): 

इस कांड में श्रीराम, सीता, और लक्ष्मण का वनवास, शूर्पणखा का परिप्रेक्ष्य, श्रीराम के साथ मारीच का संवाद, सुर्पणखा का नास, श्रीराम की वीरता, और सीता हरण का घटनाक्रम है।


किष्किंधाकांड (किष्किंधाकाण्ड): 

इस कांड में हनुमान का लंका की खोज, सुग्रीव से मिलन, अंगद का सीता के पास जाना, और श्रीराम द्वारा वानर सेना के साथ समर्थन का दृश्य है।


सुंदरकांड (सुंदरकाण्ड): 

इस कांड में हनुमान जी का लंका में पहुँचना, राक्षसी समुद्र को पार करना, अशोक वन में सीता से मिलन, लंका में अग्नि परीक्षा, और सीता का राम को पतिव्रता धरा रहने का प्रतिज्ञान करना है।


लंकाकांड (लंकाकाण्ड): 

इस कांड में राम का सेना समेत लंका पहुंचना, राक्षसी राजा रावण का वध, सीता का पवित्रता यज्ञ, और राम राज्याभिषेक का विवरण है।


उत्तरकांड (उत्तरकाण्ड): 

इस कांड में श्रीराम का अयोध्या में प्रवेश, लव-कुश की उत्पत्ति, सीता का विस्मरण, और श्रीराम का गंगा नदी में समापन है।


ये सात कांड सम्पूर्ण "रामचरित मानस" की अद्भुत कहानी का अंग-अंग हैं, जो हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण ग्रंथ के रूप में माना जाता है।

रामचरित मानस चौपाई


"रामचरित मानस" में एक विशेष प्रकार की छंद, जिसे "दोहा" या "चौपाई" कहा जाता है, का उपयोग किया गया है। इसमें हर चौपाई में दो पंक्तियाँ होती हैं और प्रत्येक पंक्ति में 16 स्वर होते हैं। यहां कुछ "रामचरित मानस" की प्रसिद्ध चौपाईयाँ हैं:

1- तुलसीदास कृत रामचरित मानस की, तासु सुमिरि भयौं जगदीश की।

तुलसीदास के द्वारा रचित रामचरित मानस का सुमिरण करके जगदीश ने भय तापना।


2-रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम।

रघुकुल नायक, राजा राम, पतितों के पावन, सीता के राम।


3-बोलेन सिया पति रामचंद्र की जय।

सीता पति रामचंद्र की जय बोलती हैं।


4-दोउ नैनन चराचर रूप रचित, अरु रूप न रहे भांति बिचारि।

वह (भगवान राम) जिसका चराचर रूपों में विचारण किया जा सकता है, और जिसका कोई भी रूप नहीं है।


5-जानकी रामनाम भजन नीति, काहु को कठिन कछु नहीं।

जानकी (सीता) ने राम के नाम का भजन करने की नीति बताई, जिससे किसी को भी कोई कठिनाई नहीं होती।


"रामचरित मानस" की चौपाईयाँ भक्ति और धार्मिक भावना को सुन्दरता के साथ व्यक्त करती हैं और इसे भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से में बनाती हैं।

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