हिंदी व्याकरण - अलंकार की परिभाषा, भेद व उदहारण

 हिंदी व्याकरण - अलंकार की परिभाषा, भेद व उदहारण 

अलंकार

अलंकार की परिभाषा - 

काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते हैं | आभूषण मानव शरीर की शोभा बढ़ा देते हैं, अत: वे मानव शरीर के अलंकार हैं । इसी प्रकार जो शब्द या वर्ण काव्य की शोभा बढ़ाते हैं, वह अलंकार कहलाते हैं ।

१. यमक अलंकार - 

जहाँ कोई शब्द दो या दो से अधिक बार प्रयोग में आए किन्तु प्रत्येक बार उसका अर्थ भिन्न हो, वहाँ यमक अलंकार होता है, उदाहरण -

कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय ।

वा पाये बौराय जग या खाए बौराय ।।

यहाँ 'कनक' शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है किन्तु प्रत्येक बार उसका अर्थ अलग है । पहले 'कनक' शब्द का अर्थ 'सोना' तथा दूसरे 'कनक' का अर्थ 'धतूरा' है, इसीलिए यहाँ यमक अलंकार हुआ ।

२. उपमा अलंकार - 

जब किसी वस्तु के रूप, रंग, गुण, क्रिया आदि की समता किसी प्रसिद्ध वस्तु से की जाती है तो वहाँ उपमा अलंकार होता है, उदाहरणार्थ - 

'पीपर पात सरिस मन डोला।' 

इस वाक्य में मन के डोलने (चंचल होने) की समता बहुत हिलने वाले पीपल के पते से की गई है, अतः यहाँ उपमा अलंकार हुआ ।

[नोट - रूपक और उत्प्रेक्षा अलंकारों को समझने के लिए उपमेय और उपमान का ज्ञान होना आवश्यक है।

उपमेय - 

जिसकी समानता किसी प्रसिद्ध वस्तु से की जाती है, उसे उपमेय कहते हैं, जैसे'मुख चन्द्रमा के समान सुन्दर है ।' इस वाक्य में 'मुख' उपमेय है ।

उपमान - 

जिससे उपमेय की तुलना की जाए, वह प्रसिद्ध वस्तु उपमान कहलाती है; जैसे कि ऊपर के उदाहरण में मुख की तुलना 'चन्द्रमा' से की गई है, अतः 'चन्द्रमा' उपमान है ।

३. रूपक अलंकार - 

रूपक' शब्द का अर्थ रूप धारण करना है । इस प्रकार रूपक में उपमेय में उपमान का आरोप किया जाता है; जैसे - 

'चरण कमल बन्दौं हरि राई ।' 

यहाँ कवि ने चरणों में कमल का आरोप किया है, अतः यहाँ रूपक अलंकार हुआ।

४. उत्प्रेक्षा अलंकार - 

जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना का वर्णन किया जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है । इसे प्रकट करने के लिए मानो या उसके पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग किया जाता है ।

“सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलौने गात ।

मनो नील मणि शैल पर, आतप परयो प्रभात ।।"

यहाँ श्रीकृष्ण के सुन्दर शरीर में कवि ने नीली मणियों के पर्वत की सम्भावना का वर्णन किया है । अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार हुआ ।

५. अनुप्रास अलंकार - 

जहाँ वाक्य के शब्दों में व्यंजनों की समता विशेष क्रम से होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है; जैसे – 

'काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहीं ।"

इस वाक्य में 'क' व्यंजन बार-बार आया है, अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार हुआ ।

६. श्लेष अलंकार - 

जहाँ कोई शब्द एक ही बार प्रयोग में आया हो किन्तु उसके अर्थ एक से अधिक हों तो वहाँ श्लेष अलंकार होता है, जैसे -

“गुन ते लेत रहीम जन, सलिल कूप ते काढ़ि ।

कूपहुँ ते कहुँ होत है, मन काहू को बाढ़ि ।।"

यहाँ 'गुन' शब्द एक ही बार प्रयोग में आया है किन्तु इसके दो अर्थ हैं - (१) गुण, (२) रस्सी ।


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महत्वपूर्ण प्रश्न - उत्तर 

अलंकार किसे कहते है ?
काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते हैं | आभूषण  मानव शरीर की शोभा बढ़ा देते हैं, अत: वे मानव शरीर के अलंकार हैं । इसी प्रकार जो शब्द या वर्ण काव्य की शोभा बढ़ाते हैं, वह अलंकार कहलाते हैं ।

शब्दालंकार कितने  प्रकार के होते है ?
शब्दालंकार 6 प्रकार के होते है -
यमक अलंकार
उपमा अलंकार
रूपक अलंकार
उत्प्रेक्षा अलंकार
अनुप्रास अलंकार
श्लेष अलंकार

अलंकार कितने प्रकार के होते है ?
अलंकार मुख्यतः तीन प्रकार के होते है - 
शब्दालंकार
अर्थालंकार
उभयालंकार

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