चन्द्रगुप्त मौर्य का जीवन परिचय - Biography of Chandragupta Maurya

 चन्द्रगुप्त मौर्य का जीवन परिचय - Biography of Chandragupta Maurya

चन्द्रगुप्त मौर्य - Chandragupta Maurya 

चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने बाहुबल और अदम्य साहस से भारत में राजनीतिक एकता स्थापित की । सिकन्दर ने भारत को जीता और यूनानी अधिकारियों को यहाँ का शासन सौंपकर लौट गया । अत्याचारी शासन से दुःखी प्रजा को महत्त्वाकाँक्षी चन्द्रगुप्त का नेतृत्व मिल गया । चन्द्रगुप्त ने सना संगठित की और यूनानियों को भारत-भूमि से बाहर निकाल दिया । उसने मगध साम्राज्य को जीता और राजधानी पाटलीपुत्र के सिंहासन पर बैठ गया ।

उत्तर भारत के बाद सम्पूर्ण भारत को एक सूत्र में बाँधने के लिये बंगाल, मालवा आदि राज्य उसने जीत लिये । सिकन्दर के सेनापति सेल्यूकस को भी उसने अपने अन्तिम युद्ध में हराया, तब सेल्यूकस ने अपनी पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त से कर दिया । अपने विशाल साम्राज्य की व्यवस्था को उसने तीन भागों में बाँट दिया था - (१) केन्द्रीय शासन, (२) प्रान्तीय शासन, (३) स्थानीय शासन । सेना पुलिस तथा गुप्तचर व्यवस्था उत्तम कोटि की थी । वह प्रजा की उन्नति और सुख-सुविधा के लिये सदैव तत्पर रहता था । उसने अनेक धर्मशालायें, पाठशालायें, अस्पताल, नहरें और सड़कें बनवाई । २४ वर्ष तक राज्य करने के बाद अपने पुत्र बिन्दुसार को शासन का भार सौंपकर वह साधु का जीवन बिताने लगा । २६८ ई० पूर्व में चन्द्रागिरि पर्वत पर चन्द्रगुप्त का निधन हो गया ।


अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न १. चन्द्रगुप्त मौर्य कौन था ? 

उत्तर - चन्द्रगुप्त मौर्य एक साहसी और महत्वाकाँक्षी युवक था । 

प्रश्न २. उसने अपनी सेना का संगठन किस प्रकार किया ?

उत्तर - चन्द्रगुप्त मौर्य ने भारत भूमि की रक्षा के लिये अपने प्राण न्यौछावर करने वालों को संगठित कर सेना का संगठन किया ।

प्रश्न ३. मगध की राजधानी का क्या नाम था ? 

उत्तर - मगध की राजधानी का नाम पाटलीपुत्र था । 

प्रश्न ४. चन्द्रगुप्त मौर्य की शासन व्यवस्था का संक्षेप में वर्णन करो ।

उत्तर - चन्द्रगुप्त मौर्य के विशाल साम्राज्य का शासन प्रबन्ध अत्यन्त संगठित था । शासन व्यवस्था मुख्यतः तीन भागों में विभक्त थी - केन्द्रीय शासन, प्रान्तीय शासन और स्थानीय शासन । इनकी सर्वोच्च शक्ति सम्राट के हाथ में थी लेकिन प्रजा का अधिक से अधिक कल्याण करने के उद्देश्य से मन्त्रियों, परामर्शदाताओं और अन्य पदाधिकारियों की व्यवस्था थी । शासन विभिन्न विभागों द्वारा चलाया जाता था । प्रत्येक विभाग का मुख्य "अमात्य" कहा जाता था । आन्तरिक शान्ति एवं व्यवस्था के लिये पुलिस का प्रबन्ध था । पुलिस के सिपाही को "रक्षिन" कहा जाता था ।

प्रश्न ५. चन्द्रगुप्त मौर्य ने प्रजा के हित के लिये क्या-क्या कार्य किये ?

उत्तर - चन्द्रगुप्त मौर्य अपनी प्रजा की उन्नति के प्रति सदैव प्रयत्नशील रहता था । उसने यातायात के साधनों की समुचित व्यवस्था की | सड़कों के किनारे छायादार वृक्ष लगवाये, कुयें तथा धर्मशालायें बनवाईं । सिंचाई हेतु अनेक तालाब और कुयें खुदवाये ।

प्रश्न ६. चन्द्रगुप्त मौर्य जीवन के अन्तिम क्षणों में कहाँ और क्यों गया ?

उत्तर - चन्द्रगुप्त मौर्य जीवन के अन्तिम क्षणों में जैन मुनि भद्रवाहु के साथ चन्दागिरि पर्वत पर साधक के रूप में जीवन व्यतीत करने हेतु गया ।

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