सन्त काव्य धारा के प्रमुख कवियों का संक्षिप्त परिचय
सन्त काव्य धारा भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण और अनूठा हिस्सा है जो भक्ति और धार्मिक भावनाओं को अद्वितीयता और प्रेम के साथ व्यक्त करती है। इस धारा के कवियों ने अपने काव्य में ईश्वर और आत्मा के बीच साकार और निराकार भावनाओं को सुंदरता से बयान किया है। यहां कुछ प्रमुख संत काव्य कवियों का संक्षेप मिलेगा:
कबीरदास (Kabir Das):
कबीरदास, 15वीं सदी के महान संत और कवि थे। उनकी रचनाएं हिन्दू-मुस्लिम एकता, भक्ति, और जीवन के तत्वों पर आधारित हैं। "कबीर वाणी" उनकी प्रमुख रचना है।
तुलसीदास (Tulsidas):
तुलसीदास 16वीं सदी के महान कवि और संत थे, जिन्होंने "रामचरितमानस" की रचना की। उनका काव्य रामायण की कथा पर आधारित है और भक्ति भावनाओं को अद्वितीयता के साथ प्रस्तुत करता है।
सूरदास (Surdas):
सूरदास, 15वीं सदी के संत और कवि थे जो कृष्ण भक्ति में प्रसिद्ध हैं। उनके पदों में मुख्यतः कृष्ण और राधा के प्रेम के विषय में हैं।
मीराबाई (Meera Bai):
मीराबाई 16वीं सदी की भक्त कवयित्री थीं, जो कृष्ण भक्ति में लीन रहती थीं। उनकी पदों में अद्वितीय प्रेम और आत्मा के भावनात्मक अभिव्यक्ति है।
नामदेव (Namdev):
नामदेव 13वीं सदी के महान संत और कवि थे। उनके अभंगों में विष्णु भगवान की भक्ति और जीवन के मौल्यों की महत्वपूर्ण बातें हैं।
इन संत काव्य कवियों ने अपने काव्य में भक्ति, आत्मा की महत्वपूर्णता, और ईश्वर के प्रति प्रेम को सुंदरता से व्यक्त किया और उनका काव्य आज भी लोगों को प्रेरित करता है।
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