कृष्ण भक्ति काव्य धारा की प्रवृत्तियाँ एंव विशेषताएँ

कृष्ण भक्ति काव्य धारा की प्रवृत्तियाँ एंव विशेषताएँ


कृष्ण भक्ति काव्य धारा की प्रवृत्तियाँ

कृष्ण भक्ति काव्य धारा भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें भगवान कृष्ण के भक्ति और लीलाओं को कविता, काव्य रूप में व्यक्त किया गया है। इस धारा का विकास भागवत पुराण, गीता और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों पर आधारित है। यह भक्ति धारा भारतीय साहित्य में विशेषतः वैष्णव संप्रदायों में प्रचलित है।


कृष्ण भक्ति काव्य धारा की प्रवृत्तियों में कुछ मुख्य विशेषताएं शामिल हैं:


रासलीला कविताएं: 

कृष्ण भक्ति काव्य में रासलीला का विशेष महत्व है। कवियों ने कृष्ण की गोपियों के साथ रासलीला को उत्कृष्ट रूप से वर्णित किया है।


भगवद गीता के आधार पर कविताएं: 

कृष्ण भक्ति काव्य में भगवद गीता के उपदेशों को भी शामिल किया जाता है। कवियों ने भगवद गीता के तत्त्वों को काव्य में समाहित किया है और उनका सराहनीय रूप से वर्णन किया है।


भक्ति रस का अधिक प्रयोग: 

कृष्ण भक्ति काव्य में भक्ति रस का अधिक प्रयोग होता है। कवियों ने अपनी कविताओं में भगवान कृष्ण के प्रति अद्भुत भक्ति भावना को उत्कृष्टता से व्यक्त किया है।

लीला रस के अभ्यास: 

कृष्ण भक्ति काव्य में कृष्ण की लीलाओं को अभ्यासपूर्ण रूप में व्यक्त किया जाता है। यहाँ लीला रस का विकास और प्रस्तुति मुख्य है।


वैष्णव संप्रदाय के अनुयायियों के प्रशंसा-प्रशंसा: कृष्ण भक्ति काव्य में वैष्णव संप्रदाय के अनुयायियों की प्रशंसा और भक्ति को व्यक्त करने का प्रयास किया गया है।


कृष्ण भक्ति काव्य धारा ने भारतीय साहित्य में भक्ति और साधना की एक नई दृष्टि प्रदान की है और इसने साहित्यिक रूप में धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करने में मदद की है।


कृष्ण भक्ति काव्य धारा की विशेषताएँ


कृष्ण भक्ति काव्य धारा को बनाने वाली कविताएं और लेखन विधाएँ कई विशेषताओं से भरी हुई हैं। इस भक्ति काव्य धारा की कुछ मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:


रासलीला का महत्व: 

कृष्ण भक्ति काव्य धारा में रासलीला को एक महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। इसमें कृष्ण की गोपियों के साथ रास नृत्य का विविध और अद्वितीय वर्णन किया जाता है, जो भक्तों के बीच अद्भूत प्रेम और भक्ति की भावना को प्रकट करता है।


भगवद गीता का प्रयोग: 

कृष्ण भक्ति काव्य में भगवद गीता के उद्धारणों और सिद्धांतों का प्रयोग होता है। कवियों ने गीता के महत्वपूर्ण भागों को अपनी कविताओं में समाहित किया है जो भक्ति और धार्मिक अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण हैं।


लीला रस का उपयोग: 

कृष्ण की लीलाएं, उनके बचपन की किशोरावस्था, गोपियों के साथ मिलन, और उनके दिव्य रूप का वर्णन लीला रस के माध्यम से किया जाता है। यह रास और प्रेम रस को बढ़ावा देता है।


भक्ति रस की उत्कृष्टता: 

कृष्ण भक्ति काव्य में भक्ति रस की उत्कृष्टता है, जिसमें भक्त की प्रेम भावना और भगवान के प्रति श्रद्धा को व्यक्त किया जाता है।


भक्ति और सेवा की भावना: 

कृष्ण भक्ति काव्य में भक्ति के साथ-साथ भगवान की सेवा की भावना भी महत्वपूर्ण है। भक्तिपूर्ण भावनाएं सेवा और समर्पण के साथ जुड़ी होती हैं।


वैष्णव संप्रदाय का प्रचार-प्रसार: 

कृष्ण भक्ति काव्य में वैष्णव संप्रदाय के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार होता है और इसमें वैष्णव संतों और आचार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।


कृष्ण भक्ति काव्य धारा ने भक्ति, प्रेम, और सेवा के माध्यम से भगवान के प्रति श्रद्धा को सुलझाने का प्रयास किया है और इसे साहित्यिक रूप से व्यक्त किया है।


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