एनी बेसेंट का जीवन परिचय - Annie Besant Biography

एनी बेसेंट का जीवन परिचय - Annie Besant Biography

एनी बेसेन्ट - Annie Besant

जिन विदेशी महिलाओं ने भारत के राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है, उनमें एनी बेसेन्ट का स्थान बहुत ऊँचा है । हिन्दू धर्म के पुनरुत्थान में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही । एनी बेसेन्ट स्वतन्त्र विचारक तो थी हीं । अपने पादरी पति फ्रैंक वीसेन्ट के सम्पर्क में आते ही उनके मन में ईसाई धर्म के उपदेशों के विषय में शंकायें उत्पन्न होने लगी । दाम्पत्य जीवन अधिक सुखमय नहीं था, फिर भी एनी बेसेन्ट अपने कर्तव्य का पालन करती रहीं |

४६ वर्ष की उम्र में एनी बेसेन्ट भारत आईं और फिर भारत की बनकर भारत में ही रह गईं। उन्होंने भारत की सामाजिक और धार्मिक स्थिति का गहन अध्ययन किया। उन्होंने अनुभव किया कि भारत के विद्यालयों के पाठ्यक्रम में धार्मिक और नैतिक शिक्षा को भी सम्मिलित करने की आवश्यकता है । वे भारत के विद्वानों, विचारकों, धर्मगुरुओं और समाज सुधारकों के सम्पर्क में आईं तथा उनके साथ विचार-विमर्श किया । अडयार (तमिलनाडु), वाराणसी, मुम्बई, आगरा, लाहौर आदि स्थानों में जाकर उन्होंने भाषण दिये । शिक्षा के प्रचार-प्रसार और शिक्षा प्रणाली में सुधार पर उनके भाषणों में विशेष बल रहता था । काशी विश्वविद्यालय की स्थापना में उन्होंने मालवीयजी के कन्धे से कन्धा मिलाकर कार्य किया ।

एनी बेसेन्ट व्यक्ति की स्वतन्त्रता की हिमायती थीं । उनका कहना था कि व्यक्ति को अपने चिन्तन के परिणामों को स्वतन्त्रता से व्यक्त करने का अधिकार होना चाहिये।

उनका विश्वास था कि एक दूसरे के प्रति सत्य का आचरण करके ही हम स्वतन्त्रता प्राप्त कर सकते हैं । स्वेच्छाचारी और उच्छृखल व्यक्ति अपने को कभी स्वतन्त्र अनुभव नहीं कर सकता । वे कहती थीं कि आत्म-संयम की नींव पर स्वतन्त्रता का भवन खड़ा होता है । वर्ग-भेद, जाति भेद, पारस्परिक कलह और घृणा से छुटकारा पाये बिना कोई राष्ट्र स्वतन्त्र नहीं हो सकता । वे राष्ट्र को भी एक आध्यात्मिक सत्ता मानती थीं और कहती थीं कि राष्ट्र भावना एकता की भावना पर निर्भर है । राष्ट्र का लक्ष्य है अपनी जातीय विशेषताओं के माध्यम से विश्व की सेवा करना । वे भारत को ऐसे ही समृद्ध राष्ट्र के रूप में देखना चाहती थीं । उनके मन में भारत से गहरा लगाव था । 

एनी बेसेन्ट भारत के स्वाधीनता आन्दोलन से भी जुड़ी हुई थीं । एनी बेसेन्ट अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त महिला थीं । उनके अन्दर सत्य के लिये संघर्ष करने वाली सशक्त आत्मा विद्यमान थी । जिस समय भारत ने स्वराज्य के लिये संघर्ष आरम्भ किया उस समय अनेक ऐसी शक्तियाँ थीं जो भारत को एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में नहीं स्वीकार करना चाहती थीं । एनी बेसेन्ट ने धर्म और अध्यात्म का मार्ग अपना कर भारतीय राष्ट्रवाद की शक्ति बढ़ाई । भूतपूर्व प्रधानमन्त्री पं० जवाहरलाल नेहरू ने कहा था - ''आज की पीढ़ी के लिये वह नाममात्र हो सकती है लेकिन मेरी और मेरे से पहले की पीढ़ी के लिये उनका बहुत बड़ा व्यक्तित्व था जिसने हम लोगों को बहुत प्रभावित किया । इसमें कोई शक नहीं हो सकता कि भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में उनका योग बहुत अधिक था । इसके अतिरिक्त वह उन लोगों में से थीं जिन्होंने हमारा ध्यान हमारी अपनी सांस्कृतिक धरोहर की ओर आकर्षित किया और हममें उसके प्रति गर्व पैदा किया ।"

अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न १. एनी बेसेन्ट का जन्म कब और कहाँ हुआ था ? 

उत्तर - एनी बेसेन्ट का जन्म १ अक्टूबर सन १८४७ ई० को लन्दन में हुआ था । 

प्रश्न २. एनी बेसेन्ट को बचपन में किन-किन कठिनाईयों का सामना करना पड़ा?

उत्तर - पिता की मृत्यु के बाद एनी बेसेन्ट की माता को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा । वे एक होटल चलाती थीं और उसी की आमदनी से अपने पुत्र को हैरो में शिक्षा दिला रही थीं।

प्रश्न ३. एनी बेसेन्ट का वैवाहिक सम्बन्ध क्यों टूट गया ?

उत्तर - एनी बेसेन्ट को रोगियों की सेवा करने, समाज कल्याण के काम करने तथा दीन-दुखियों की सहायता करने में अधिक शान्ति मिलती थी । उनके पति चाहते थे कि उनकी पत्नी भी उन्हीं की भाँति ईसाई धर्म में दृढ आस्था रखे । एनी बेसेन्ट को यह स्वीकार नहीं था । अतः सन १९७३ में उनका वैवाहिक सम्बन्ध टूट गया ।

प्रश्न ४. एनी बेसेन्ट ने जनता की भलाई के लिये कौन-कौन से कार्य किये ?

उत्तर - एनी बेसेन्ट ने जाति और धर्म के भेदभाव को छोड़ विश्व-बन्धुत्व सिखाया। गीता के ज्ञान योग और कर्मयोग की साधना स्वीकार की । स्वराज्य के कार्य को भारत में लोकप्रिय बनाया और लोकहित को ही राज्य और राष्ट्र का लक्ष्य माना और समाज कल्याण के कार्य करना और दीन-दुखियों की सेवा करना सिखाया ।

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