शहीद भगत सिंह का जीवन परिचय - Biography of Shaheed Bhagat Singh
शहीद भगत सिंह - Shaheed Bhagat Singh
शहीद भगत सिंह एक असाधारण साहसी और महान देशभक्त थे जिन्होंने पराधीन भारतमाता की बेडियाँ काटने में अमूल्य योगदान किया । इनके जन्म के समय पंजाब सहित पूरे भारत में ज्वाला धधक रही थी । इस कारण बाल्यावस्था से ही उनके मन में क्रान्ति और संघर्ष के संस्कार बन गये थे ।
बचपन में ही भगत सिंह का सम्पर्क बड़े-बड़े राजनैतिक नेताओं-लाला लाजपतराय, करतार सिंह सराभा, राम बिहारी बोस आदि से हो गया था । भगत सिंह पर करतार सिंह सराभा का प्रभाव सर्वाधिक पड़ा । वे उन्हें अपना गुरु, साथी और बड़ा भाई मानते थे। प्रथम लाहौर षड्यन्त्र केस १६१५ के समय भगत सिंह केवल नौ वर्ष के थे । १६१६ में करतार सिंह सराभा ने बीस वर्ष की उम्र में देश की स्वतन्त्रता के लिये फाँसी के फन्दे को चूम लिया था । सराभा के अनुपम बलिदान का बालक भगतसिंह के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा । जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड की घटना उन्हें अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर किये गये अत्याचार की याद दिलाती रहती थी और मातृ भूमि के लिये उत्सर्ग करने की प्रेरणा देती रहती थी।
गाँधीजी का असहयोग आन्दोलन १६२० में गति पकड़ रहा था । इसके परिणाम स्वरूप अनेक राष्ट्रीय स्कूल व कॉलेज स्थापित किये गये थे । भगत सिंह भी लाहौर का डी०ए०वी० स्कूल छोड़कर लाला लाजपतराय द्वारा स्थापित नेशनल कॉलेज में भर्ती हो गये थे । यहाँ उनकी भेंट भगवती चरण, सुखदेव, यशपाल, रामकिशन आदि क्रान्तिकारियों से हुई । इस विद्यालय में उन्हें लाला लाजपतराय, जयचन्द्र विद्यालंकार तथा अन्य राष्ट्रीय नेताओं के भाषण सुनने का अवसर मिला । भगत सिंह सक्रिय राजनीति में प्रविष्ट हुये। कानपुर में रहकर उन्होंने विद्यार्थी जी के निर्देशन में राष्ट्र की बड़ी सेवा की । रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खाँ तथा कुछ अन्य क्रान्तिकारियों को 'कॉकोरी' डाका काण्ड में फाँसी दी गयी थी । उनकी स्मृति में क्रान्तिकारियों ने "बलिदान दिवस" मनाया। इस अवसर पर देश के नवयुवकों को क्रान्तिकारी आन्दोलन में सम्मिलित होने के लिये उत्प्रेरित किया गया ।
उन्होंने पार्टी की ओर से साइमन कमीशन के बहिष्कार की योजना बनाई । ३० अक्टूबर, १६२८ के दिन जब यह आयोग लाहौर पहुँचा तो लाला लाजपतराय की अध्यक्षता में क्रान्तिकारियों का जुलूस निकला । जुलूस में साइमन का बहिष्कार करते हुये नारे लगाये गये - 'साइमन वापस जाओ" "इन्कलाब जिन्दाबाद" ।
भगत सिंह अन्य क्रान्तिकारियों के साथ भारत माता की दासता की बेड़ियाँ काटने हेतु बराबर संघर्ष करते रहे । वे उस दिन की प्रतीक्षा में थे जिस दिन 'सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक संसद में प्रस्तुत किया जाने वाला था और उस पर मतदान होना था । यह विधेयक सरकार की दमनकारी नीति का पोषक था । अनेक विरोधों के होते हुये भी अप्रैल १६२६ ई० से ही इसे लागू करने की घोषणा वायसराय को कर देनी थी । अतः क्रान्तिकारियों ने उस दिन असेम्बली भवन में बम फेंकने का निश्चय किया था । 'अतिथि पास' बनवाकर वे केन्द्रीय विधान भवन में प्रविष्ट हो गये । जैसे ही विधेयक को पारित करने की आवश्यकता का समर्थन किया गया । भगतसिंह ने एक बम फेंका। सभा भवन धुयें से भर गया परन्तु भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने ''इन्कलाब जिन्दाबाद'' का नारा लगाया और पूर्व निर्णय के अनुसार अपनी गिरफ्तारी कराई । दोनों पर मुकदमा चला और १० जून, १६२६ ई० को उन्हें आजन्म कारावास की सजा सुनाई गई ।
दूसरे मुकदमे में २३ मार्च, १६३१ ई० को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फाँसी दी जानी थी । मृत्युदण्ड से पूर्व माता-पिता इनसे मिलने गये । सब सम्बन्धियों से मिलने के बाद अन्त में माताजी अपने ''भागांकाले' से मिली और बोली - .
बेटा हठ मत छोड़ना, एक दिन तो मरना ही है परन्तु ऐसा मरना जिसे पूरा विश्व याद करे और रो उठे । ............ मेरी हार्दिक इच्छा है कि फाँसी के तख्ते पर खड़े होकर मेरा पुत्र 'इन्कलाब जिन्दाबाद' के नारे लगाये । पुत्र ने माँ के आदेशों का अक्षरशः पालन करते हुये स्वयं को सच्चा देश-भक्त सिद्ध कर दिया ।
प्रश्न १. भगत सिंह एक सच्चे क्रान्तिकारी थे, स्पष्ट करो ।
उत्तर - भगतसिंह अन्य क्रान्तिकारियों के साथ भारत माता की दासता की बेड़ियाँ काटने हेतु बराबर संघर्ष करते रहे । वे उस दिन की प्रतीक्षा में थे जिस दिन ''सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक'' संसद में प्रस्तुत किया जाने वाला था और उस पर मतदान होना था । यह विधेयक सरकार की दमनकारी नीति का पोषक था । अनेक विरोधों के होते हुये भी अप्रैल १६२६ ई० से ही लागू करने की घोषणा वायसराय को कर देनी थी । अतः क्रान्तिकारियों ने उस दिन असेम्बली भवन में बम फेंकने का निश्चय किया था । "अतिथि पास'' बनवाकर वे केन्द्रीय विधान भवन में प्रविष्ट हो गये । जैसी ही विधेयक को पारित करने की आवश्यकता का समर्थन किया गया, भगतसिंह ने एक बम फेंका। सभा भवन धुयें से भर गया परन्तु भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने "इन्कलाब जिन्दाबाद" का नारा लगाया और पूर्व निर्णय के अनुसार अपनी गिरफ्तारी कराई ।
प्रश्न २. बालक भगत सिंह के बचपन की किसी घटना का वर्णन करो ।
उत्तर - एक बार इनके पिता इन्हें लेकर एक प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता के साथ खेतों पर गये । बालक खेल-खेल में मिट्टी की ढेरियाँ बनाने लगा । उसने प्रत्येक ढेरी पर एक तिनका गाढ़ दिया । पिता से पुत्र ने पूछा, ''यह क्या कर रहे हो ?'' ''बन्दूकें बो रहा हूँ', उस बालक का उत्तर था । पाँच वर्ष की उम्र में ही यह मित्रों के दो गुटों में बाँटकर एक दूसरे पर आक्रमण करने का खेल-खेलते थे ।
प्रश्न ३. जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड का भगत सिंह पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर - जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड से भगतसिंह अत्यन्त द्रवित हुये | उन्होंने उस धरती की रक्त भरी मिट्टी एक मुट्ठी में उठाई और बलिदान की शपथ ली ।
प्रश्न ४. देश के स्वाधीनता संग्राम में भगत सिंह के योगदान की चर्चा करो ।
उत्तर - सरदार भगतसिंह एक असाधारण साहसी और महान देश-भक्त थे जिन्होंने पराधीन भारतमाता की बेड़ियाँ काटने में अमूल्य योगदान किया ।
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