भक्ति आन्दोलन से आप क्या समझते हैं और इसके कारण

भक्ति आन्दोलन से आप क्या समझते हैं और इसके कारण

भक्ति आन्दोलन से आप क्या समझते हैं ? 

भक्ति आंदोलन विभिन्न धार्मिक या आध्यात्मिक समृद्धि के लिए आम तौर से सामाजिक एवं धार्मिक उत्साह से जुड़े होते हैं। इन आंदोलनों में भक्ति या देवता के प्रति विशेष श्रद्धा और समर्पण की भावना होती है। यह आंदोलन सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परिवर्तन की कड़ी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

इन आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य अक्सर धर्मिक सुधार और आत्मनिर्भरता होता है, जिसमें भक्ति और उदारता की भावना शामिल होती है। ये आंदोलन आमतौर पर सामाजिक असमानता, अन्याय या किसी विशेष समुदाय के प्रति अत्याचार के खिलाफ हो सकते हैं।


भक्ति आंदोलन अक्सर सांस्कृतिक समृद्धि, आत्म-परिवर्तन, और सामाजिक समरसता के मूल्यों को प्रमोट करने का प्रयास करते हैं। इनमें धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से धार्मिक ज्ञान को बढ़ावा देने और लोगों को धार्मिक सिद्धांतों का पालन करने के लिए प्रेरित करने का भी माध्यम हो सकता है।

भक्ति आन्दोलन का इतिहास क्या है ?


भक्ति आंदोलन का इतिहास भारतीय इतिहास में विभिन्न कालों में विकसित हुआ है, और इसमें विभिन्न धार्मिक साम्राज्यों और सामाजिक परिवर्तनों का प्रभाव देखा जा सकता है। यहां कुछ मुख्य भक्ति आंदोलनों का उल्लेख है:


भक्ति आंदोलन (6वीं से 8वीं सदी): 

भारतीय उपमहाद्वीप में भक्ति आंदोलन का प्रारंभ हिन्दू और जैन भक्ति संप्रदायों के विकास के साथ हुआ। सांत मीराबाई, संत कबीर, संत रविदास, संत गुरुनानक, और अन्यों ने अपने काव्य और भजनों के माध्यम से सामाजिक असमानता और धर्मिक एकता की बातें प्रस्तुत की।


भक्ति आंदोलन (15वीं से 17वीं सदी): 

इस काल में श्रीकृष्ण चैतन्य, संत तुलसीदास, संत कबीर, संत मीराबाई, संत सूरदास जैसे भक्ति संत ने अपने समय में एक नए धार्मिक और सामाजिक चेतना को जागरूक किया। इस पीरियड में भक्ति आंदोलन ने भारतीय समाज में सामाजिक बदलाव को प्रोत्साहित किया और जाति व्यवस्था के खिलाफ उठाव किया।


भक्ति आंदोलन (19वीं सदी): 

इस काल में स्वामी विवेकानंद, संत राजा राममोहन राय, और महात्मा गांधी ने भक्ति आंदोलन को नए दिशानिर्देश दिए। इस दौरान, भक्ति की भावना ने राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता संग्राम को बढ़ावा दिया।


इन भक्ति आंदोलनों ने धर्म, सामाजिक न्याय, और मानवता के मूल्यों को पुनः स्थापित करने के लिए प्रयास किया और भारतीय समाज को सकारात्मक दिशा में प्रेरित किया।


भक्ति आन्दोलन के कारण बताओ ?

भक्ति आंदोलन के कारण विभिन्न कारणों से उत्पन्न होते हैं, और इनका उद्दीपन धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक संदर्भों से हो सकता है। यहां कुछ मुख्य कारणों की चर्चा की जा रही है:


धार्मिक अनुष्ठान का पुनर्निर्माण: 

भक्ति आंदोलन का एक मुख्य उद्देश्य धार्मिक अनुष्ठान में सुधार करना होता है। ये आंदोलन धर्मिक सिद्धांतों को फिर से सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं और लोगों को एक समर्पित और नैतिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं।


सामाजिक असमानता और उत्पीड़न के खिलाफ: 

कई बार भक्ति आंदोलन उस समय उत्पन्न होते हैं जब सामाजिक असमानता और उत्पीड़न के खिलाफ विरोध बढ़ जाता है। यहां, भक्ति संत अपने उपास्य देवता के माध्यम से समाज में जाति व्यवस्था और अन्य असमानताओं के खिलाफ आवाज उठाते हैं।


राजनीतिक उत्पीड़न और विद्रोह: 

कई बार भक्ति आंदोलन राजनीतिक उत्पीड़न और न्याय की मांग के लिए आते हैं। संत और महात्माओं की शिक्षाओं का पालन करते हुए लोग अन्याय और अत्याचार के खिलाफ उठते हैं और राजनीतिक परिवर्तन की मांग करते हैं।


आर्थिक असमानता और उधारण: 

कई बार, आर्थिक असमानता भी भक्ति आंदोलन के पीछे एक कारण हो सकती है। संत और महात्माएं अपने अनुयायियों को आर्थिक स्वतंत्रता और स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।


इन कारणों से उत्पन्न होने वाले भक्ति आंदोलन सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक परिवर्तनों का स्रोत बन सकते हैं।

👉JOIN WHATSAPP GROUP - CLICK HERE

Post a Comment

0 Comments