द्विवेदी युग का परिचय, प्रमुख कवि और उनका हिन्दी साहित्य में योगदान

 द्विवेदी युग का परिचय, प्रमुख कवियों का हिन्दी साहित्य में योगदान


द्विवेदी युग का परिचय

"द्विवेदी युग" भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण काल है जो 1918 से लेकर 1943 तक चला। इसे "द्विवेदी युग" कहा जाता है क्योंकि इस काल में हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि रामचंद्र शुक्ल, सुमित्रानंदन पंत, निराला, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रमधारी सिंह 'दिनकर', महादेवी वर्मा, और आचार्य कृष्णदेव राय, इत्यादि शामिल होते हैं।


इस युग की विशेषता यह रही कि इस काल में साहित्यिकों ने नई भाषा, नए भावनात्मक दृष्टिकोण, और नए रासिकता के साथ हिन्दी साहित्य को परिवर्तित किया। इस काल में ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम की भावना भी मजबूत थी और इसने साहित्यिक उत्साह को बढ़ावा दिया।

द्विवेदी युग में साहित्यिक अभिवृद्धि, नैतिकता की प्रेरणा, राष्ट्रीय चेतना, और समाज में सुधार के मुद्दे उच्चतम थे। यह समय भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण परिवर्तनों का कारण बना और इसने भाषा, विचारधारा, और साहित्यिक सृष्टि में नए मापदंड स्थापित किए।


इस युग के कवियों ने विभिन्न रूपों में अपने विचारों को व्यक्त किया, जिसमें प्रेरणा, भक्ति, राष्ट्रीय चेतना, और सामाजिक सुधार की भावनाएं अद्वितीय थीं। इस समय के कवि निर्मल वर्मा, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला', मैथिलीशरण गुप्त, और सुमित्रानंदन पंत को भी इस काल के महत्वपूर्ण साहित्यकार माना जाता है।

द्विवेदी युग के लेखक

द्विवेदी युग के प्रमुख कवि और उनका हिन्दी साहित्य में योगदान

द्विवेदी युग के लेखक भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण कवियों और लेखकों की एक श्रृंगारी सृष्टि थी। इस युग में कई प्रमुख लेखक और कवि थे, जो नए भाषा, रस, और भावनात्मक दृष्टिकोण के साथ हिन्दी साहित्य को प्रेरित करने का कारण बने। यहां कुछ महत्वपूर्ण लेखकों का उल्लेख है:


रामचंद्र शुक्ल (आचार्य शुक्ल): 

रामचंद्र शुक्ल, जिन्हें आचार्य शुक्ल के नाम से भी जाना जाता है, द्विवेदी युग के महत्वपूर्ण कवियों में से एक थे। उनकी कविताएं राष्ट्रीय भावनाओं, प्रेरणा, और सामाजिक सुधार की भावनाओं से भरी होती थीं।


सुमित्रानंदन पंत: 

सुमित्रानंदन पंत एक उत्कृष्ट हिन्दी कवि थे, जिन्होंने अपनी कविताओं में प्राकृतिक सौंदर्य, भावनाएं, और नवजागरूकता को संगीतमयी भाषा में व्यक्त किया।


निराला (जयशंकर प्रसाद): 

जयशंकर प्रसाद, जिन्हें निराला के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय साहित्य में अपनी कविताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी कविताएं भावनात्मक और आत्मकथात्मक होती थीं।


महादेवी वर्मा: 

महादेवी वर्मा, एक प्रमुख हिंदी कवित्री थीं, जिन्होंने अपनी कविताओं में समाज, स्त्री समस्याएं, और नारी उत्थान के मुद्दे उठाए।


आचार्य रमधारी सिंह 'दिनकर': 

आचार्य रमधारी सिंह 'दिनकर' ने भारतीय साहित्य को उन्नति की दिशा में अग्रसर किया। उनकी कविताएं राष्ट्रवाद, प्रेरणा, और वीरता की भावनाओं से भरी रहती थीं।


इन लेखकों ने द्विवेदी युग में हिंदी साहित्य को नए आयाम और दिशाएँ प्रदान कीं और इस युग को एक साहित्यिक प्रतिबिम्ब के रूप में स्थापित किया।


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