बेसिक जरूरतों के लिए तरस रहे बेसिक स्कूल

 बेसिक जरूरतों के लिए तरस रहे बेसिक स्कूल


लखनऊ: बेसिक शिक्षा परिषद से संचालित जिले के करीब 40 फीसद प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए अभी तक कुर्सी मेज तक नहीं है। ठंड के मौसम में बच्चे जमीन पर चटाई बिछाकर बैठकर पढ़ने को विवश हैं। कुछ स्कूलों में दान के सहारे फर्नीचर की व्यवस्था की गई है। यह स्थिति तब है जब बेसिक शिक्षा परिषद की और से बच्चों को निश्शुल्क यूनिफार्म, जूता, मोजा, स्वेटर, स्कूल बैग के लिए उनके अभिभावकों के खाते में सेधे पैसे भेजे गए।


शनिवार को पीजीआइ क्षेत्र में रायबरेली रोड स्थित हैबत मक मवाईया प्राथमिक विद्यालय में प्राइमरी में पढ़ने वाले बच्चे चटाई पर बैठे मिले। यहां कुछ बच्चों को चटाई तक फटी दिखी। बच्चे ने बताया कि कुर्सी मेज नहीं आई है। जमीन पर बैठाकर पढ़ाया जाता है। जिले में करीब 450 प्राइमरी स्कूलों में ऐसी ही स्थिति है।

अभी केवल जूनियर स्कूल को मिल रहा


फर्नीवरः बेसिक शिक्षा परिषद से जिले में 1618 प्राथमिक और जूनियर स्कूल हैं। इसमें 428 जूनियर स्कूल हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने जूनियर स्कूल यानी छठी से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर का टेंडर निकाला था। इसमें 281 स्कूलों में इसकी आपूर्ति की जा रही है। 1190 प्राइमरी स्कूल में कक्षा पहली से पांचवीं तक के बच्चों के लिए अभी फर्नीचर की व्यवस्था नहीं हो पाई है। जिले में करीब 40 फीसद प्राइमरी स्कूलों में बच्चे जमीन पर चटाई बिछाकर पढ़ रहे हैं।


जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अरुण कुमार का कहना है कि पहले चरण में जूनियर स्कूलों के बच्चों को कुर्सी मेज उपलब्ध कराय जा रहा है.


कैसे बनेंगे निपुण

सरकारी स्कूलों में बच्चों को निपुण बनाने की कोशिश हो रही है। इसमे

गणित, विज्ञान, भाषा जैसे प्रमुख विषयों में पहला से 5वीं व 6टी से 8वी कक्षा तक के बच्चों को चिन्हित करके उन्हें इस तरह से पढ़ाया जा रहा है कि वह एक तय मानक तक अपनी दक्षता को बढ़ाए। जिले में 37 समन्वयक को 10-10 स्कूलों का चयन कर दिसंबर 2023 तक निपुण बनाना है।

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