रामप्रसाद बिस्मिल का जीवन परिचय - Biography of Ramprasad Bismil

 रामप्रसाद बिस्मिल का जीवन परिचय - Biography of Ramprasad Bismil

रामप्रसाद बिस्मिल - Ramprasad Bismil

भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के आरम्भिक दिनों में अनेक युवकों ने सशस्त्र क्रान्ति का मार्ग अपनाया था । उत्तर प्रदेश में सशस्त्र क्रान्तिकारी दल के मुख्य संगठनकर्ता पं० रामप्रसाद 'बिस्मिल' थे । रामप्रसाद का बाल्य जीवन उद्दण्डता से भरा था ।

विद्यालय जीवन में ही रामप्रसाद के हृदय में स्वदेश प्रेम की लहरें उठने लगी थीं । सन १६१६ ई० में 'लाहौर षड्यन्त्र'' में भाई परमानन्द को बन्दी बनाया गया । भाई परमानन्द को फाँसी की सजा का समाचार पढ़ते ही उनके शरीर में आग सी लग गयी । उन्होंने उसी समय इसका बदला लेने तथा जीवन भर अंग्रेजी शासन के विनाश के लिये प्रयत्न करते रहने का संकल्प लिया । वे अखबार लेकर स्वामी सोमदेव के पास पहुंचे। स्वामीजी ने कहा, 'संकल्प लेना बहुत सरल है किन्तु इस पर दृढ़ रहना बड़ा कठिन है ।' रामप्रसाद ने स्वामीजी के चरणों का स्पर्श करते हुये कहा - 'आपकी कृपा बनी रही तो प्रतिज्ञा पूरी करने में किसी प्रकार की त्रुटि न होगी ।' यहीं से रामप्रसाद का क्रान्तिकारी जीवन आरम्भ हो गया ।

क्रान्तिकारी दल का पुनः संगठन होने लगा था । क्रान्तिकारियों से नियन्त्रण पाकर वे देश सेवा की काँटों भरी डगर पर चल पड़े ।

रामप्रसाद ने इस समय जो संगठन बनाया उसका लक्ष्य शोषण रहित समाज की स्थापना करना था । इस दल का नाम 'हिन्दुस्तान रिपब्लिक ऐसोसिएशन" था । । 'कॉकोरी डकैती काण्ड'' से देश में खलबली मच गई । जाँच-पड़ताल हुई । शाहजहाँपुर शहर में डकैती में लूटे गये कुछ नोट पकड़े गये । लोगों ने रामप्रसाद को बहुत आगाह किया परन्तु उनका अनुमान था कि पुलिस को कोई सबूत नहीं मिलेगा । एक दिन प्रातःकाल ही उन्हें इनके घर पर ही गिरफ्तार कर लिया गया । घर से पुलिस वालों को एक आपत्तिजनक पत्र भी मिल गया । इस काण्ड के अन्तर्गत २२ क्रान्तिकारियों पर मुकदमा चलाया गया । लगभग डेढ़ वर्ष तक मुकदमा चलता रहा और उन्हें फाँसी की सजा दी गयी । फाँसी के दो दिन पूर्व ही जेल की अँधेरी कोठरी में बैठकर रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने अपनी आत्मकथा लिख डाली । उसे किसी प्रकार जेल से बाहर भी भेज दी । उसके अन्त में उन्होंने लिखा है -

मरते बिस्मिल रोशन, लहरी, अशफाक अत्याचार से । 

होंगे पैदा सैकड़ों, उनके रुधिर की धार से ।। 

अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न १. रामप्रसाद के क्रान्तिकारी जीवन का आरम्भ किस प्रकार हुआ ?

उत्तर - सन १६१६ ई० में जब लाहौर षड्यन्त्र केस में भाई परमानन्द को फाँसी दी गयी, तब इसका बदला लेने के लिये रामप्रसाद ने जीवन-भर अंग्रेजी शासन की समाप्ति के लिये प्रयत्न करते रहने का संकल्प ले लिया । यहीं से रामप्रसाद के क्रान्तिकारी जीवन का आरम्भ हुआ ।

प्रश्न २. "काकोरी" षड़यन्त्र का संक्षेप में वर्णन कीजिये ।

उत्तर - रामप्रसाद बिस्मिल के क्रान्तिकारी दल को हथियार खरीदने के लिये धन की जरूरत थी । इसलिये रेलगाड़ी से अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने का निश्चय किया गया । एक दिन जब गाड़ी सहारनपुर से लखनऊ के लिये चली तो क्रान्तिकारी उसमें सवार हो गये । लखनऊ से कुछ पहले कॉकोरी नामक स्थान पर गाड़ी रोककर गार्ड के डिब्बे से सन्दूक उतार लिया । यह रेल डकैती ''कॉकोरी षड्यन्त्र'' के नाम से मशहूर है ।

प्रश्न ३. रामप्रसाद 'बिस्मिल' के जीवन से तुम्हें क्या शिक्षा मिलती है ?

उत्तर - रामप्रसाद बिस्मिल के जीवन से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें अपने देश की रक्षा हेतु सर्वस्व बलिदान कर देना चाहिये ।

प्रश्न ४. रामप्रसाद 'बिस्मिल' द्वारा स्थापित संगठन का क्या नाम था ?

उत्तर - रामप्रसाद 'बिस्मिल' द्वारा स्थापित संगठन का नाम 'हिन्दुस्तान रिपब्लिक ऐसोसिएशन' था ।

प्रश्न ५. रिक्त स्थानों की पूर्ति (कोष्ठक में दिये गये उपयुक्त शब्द की सहायता से)

(क) विद्यालय जीवन में ही रामप्रसाद के हृदय में स्वदेश प्रेम लहरें उठने लगी थीं।

(स्वदेश प्रेम / धन प्रेम / गृहस्थ जीवन) 

(ख) भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के आरम्भिक दिनों में अनेक युवकों ने सशस्त्र क्रान्ति का मार्ग अपनाया था । 

(सशस्त्र क्रान्ति / फाँसी पर चढ़ने / बम बनाने)

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