रहीम का जीवन परिचय - Biography of Rahim
रहीम - Rahim
रहीम एक ऐसे महापुरुष थे, जिन्होंने साहित्य, कला और राजनीति में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । उन्होंने भाषा, धर्म और सम्प्रदाय के विवाद से ऊपर उठकर मानव-धर्म का उद्घोष किया और मुसलमान होते हुये भी हिन्दी भक्ति साहित्य की सेवा की ।
रहीम का पूरा नाम अबदुर्रहीम खानखाना था । वे मूलतः तुर्क थे । उनके पिता शिया और माँ सुन्नी थीं । उनके पिता का नाम बैरम खाँ और दादा का नाम सैफे खाँ था । रहीम का जन्म १७ दिसम्बर, सन १५५६ ई० में हुआ था । उनके पिता की हत्या हो जाने पर सम्राट अकबर ने उन्हें पूरा संरक्षण दिया और आगे चलकर गुजरात का सूबेदार बनाया और फिर वे अकबर के प्रधान सेनापति तथा दरबार के प्रिय कवि बने। वे अत्यन्त उदार, दानी और परोपकारी थे तथा कवि तुलसीदासजी के परम मित्र थे । रहीम की कविता नीति, भक्ति तथा ज्ञान के तत्त्वों से परिपूर्ण है । वे अकबर के दरबार के 'नौ रत्नों' में अकेले ऐसे रत्न थे, जिनका कलम और तलवार दोनों पर समान अधिकार - था । उन्होंने समाज के सामने "सर्व-धर्म-सम्भाव" का अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया।
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न १. रहीम का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर - रहीम का जन्म १७ दिसम्बर १५५६ ई० में हुआ था ।
प्रश्न २. रहीम की शिक्षा किस प्रकार हुई थी?
उत्तर - अकबर के समय राजभाषा फारसी थी । इस दृष्टिकोण से अकबर ने 'मल्ला अमीन' को मर्जा खाँ (रहीम) के शिक्षक के रूप में नियुक्त किया ।
प्रश्न ३. रहीम ने हिन्दी साहित्य की सेवा किस प्रकार की ?
उत्तर - हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि करने वाले 'अब्दुर्रहीम खानखाना' अपनी रचनाओं के कारण आज भी जीवित हैं । अकबर के 'नौ रत्नों में वह अकेले ऐसे रत्न थे जिनका कलम और तलवार दोनों पर समान अधिकार था । उन्होंने कवियों को एक नई दिशा व प्रेरणा दी ।
प्रश्न ४. अपनी किस विशेषता के लिये रहीम सदैव याद किये जायेंगे ?
उत्तर - रहीम ने रीवा नरेश के पास एक दोहा लिखकर भेज दिया, जिस पर मुग्ध होकर रीवां नरेश ने एक लाख रुपया रहीम के पास भेज दिया । दानी रहीम ने वह सब रुपया याचकों को दे दिया ।
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