बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय - Biography of Bal Gangadhar Tilak

 बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय - Biography of Bal Gangadhar Tilak

बाल गंगाधर तिलक - Bal Gangadhar Tilak

सन् १८५७ ई० की क्रान्ति भारतीय इतिहास में विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है । इस क्रान्ति के फलस्वरूप देश स्वतन्त्र तो नहीं हो सका किन्तु इससे स्वतन्त्रता की स्वाधीनता प्राप्ति के प्रयासों को बल मिला । बाल गंगाधर तिलक एक आदर्श शिक्षक और सफल पत्रकार थे । सन १८८१ में तिलक की सामाजिक सेवा का दूसरा दौर चला । उन्होंने मराठी भाषा में केसरी समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया । अंग्रेजी भाषा में "मराठा" पत्र भी साथ ही निकलने लगा । 'मराठा' और 'केसरी' समाचार पत्रों में अंग्रेजों की अनुचित नीतियों और अत्याचारों का खुलकर विरोध किया जाता था । - कलकत्ता में होने वाले काँग्रेस अधिवेशन के अवसर पर एक सार्वजनिक सभा में गीता पर उनका भाषण सुनकर छात्रों ने उन्हें मानपत्र दिया तथा उनका निर्देशन प्राप्त करना चाहा । तब से वे "लोकमान्य" कहे जाने लगे । उन्होंने धार्मिक उत्सव का आधार लेकर राजनीति की जड़ें मजबूत की । इस प्रकार तिलक को स्वदेशी आन्दोलन का सच्चा जन्मदाता कहा जा सकता है ।

तिलक में असीम सहिष्णुता थी । देश के लिये उन्होंने अनेक यातनायें भोगी । जेल से छूटने के बाद वे पुनः देश सेवा में लग गये । उन्होंने जनता को स्वशासन की प्रेरणा दी और होमरूल लीग की स्थापना की । वे देश में अपना शासन और अपनी व्यवस्था चाहते थे और कांग्रेस में तिलक का प्रभुत्व जम रहा था । तिलक पूर्ण स्वराज्य हेतु निरन्तर संघर्ष करते रहे । १ अगस्त १६२० को भारतीयों को पूर्ण स्वराज्य हेतु उत्प्रेरित कर भारतमाता के ये सपूत सदा के लिये सो गये । इनकी मृत्यु के अवसर पर जन समूह की बाढ़ को देखकर विट्ठलभाई पटेल ने कहा था - "राजनीति को आराम कुर्सी वाले राजनीतिज्ञों से जनता तक ले आने का श्रेय लोकमान्य तिलक को ही है । उनकी उँगली राष्ट्र की नाड़ी पर थी । वह जानते थे कि स्वतन्त्रता संग्राम में त्याग और कष्ट झेलने की क्षमता जनता में कितनी है । इसीलिये उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन को आगे बढ़ाया । वे सच्चे अर्थों में भारत के निर्माता थे ।"


अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न १. बाल गंगाधर का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?

उत्तर - बाल गंगाधर का जन्म २३ जुलाई १८५६ ई० को भारत के पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित रत्नागिरि गाँव में हुआ था ।

प्रश्न २. 'बाल गंगाधर तिलक स्वराज्य के मन्त्रदाता थे', इस कथन की पुष्टि करो।

उत्तर - जेल में तिलक ने 'गीता-रहस्य' नामक विश्वविख्यात पुस्तक लिखी । इस पुस्तक ने देश की राजनीति को स्वराज्य की ओर उत्प्रेरित किया । तिलक ने जनता को बताया कि कर्म का राष्ट्रीय फल 'स्वराज्य' है ।

प्रश्न ३. बाल गंगाधर तिलक ने किन पत्रों का सम्पादन किया ?

उत्तर - बाल गंगाधर तिलक ने मराठी भाषा में 'केसरी समाचार पत्र' तथा अंग्रेजी भाषा में "मराठा" पत्र का भी सम्पादन किया ।

प्रश्न ४. भारत की स्वाधीनता के लिये तिलक के योगदान का वर्णन करो ।

उत्तर - राजनीति को आराम कुर्सी वाले राजनीतिज्ञों से जनता तक ले आने का श्रेय लोकमान्य तिलक को ही है । उनकी उँगली राष्ट्र की नाड़ी पर थी । वह जानते थे कि स्वतन्त्रता संग्राम में त्याग और कष्ट झेलने की क्षमता जनता में कितनी है । इसीलिये उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन को आगे बढ़ाया । वे सच्चे अर्थों में भारत के निर्माता थे ।

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