प्रार्थना-पत्र (पत्र-लेखन) - Letter Writing in Hindi

प्रार्थना-पत्र (पत्र-लेखन) - Letter Writing in Hindi

प्रार्थना-पत्र (पत्र-लेखन)

     पत्र लिखना भी एक अत्यन्त आवश्यक कला है अत: विद्यार्थियों को इसका ज्ञान भी बहुत आवश्यक है पत्र-लेखन ही ऐसी कला है जिसके द्वारा हम दूर बैठे अपने मित्रों, निकट सम्बन्धियों आदि से सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं

पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए -

. पत्र की भाषा सरल और शिष्ट होनी चाहिए

. एक ही बात को बार-बार नहीं दोहराना चाहिए |

. प्रत्येक वात एक - दूसरे से सम्बन्धित होनी चाहिए

. लेखनी शुद्ध और साफ होनी चाहिए।


पत्र मुख्यतः निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं -

. व्यक्तिगत पत्र - ये पत्र अपने मित्रों, सम्बन्धियों, जैसे - माता-पिता, भाई-बहिन आदि के  लिए लिखे जाते हैं

. व्यापारिक पत्र - ये पत्र वस्तुओं को खरीदने और बेचने आदि अर्थात व्यापार की बातों के लिए लिखे जाते हैं

. सरकारी तथा अर्द्ध-सरकारी पत्र - ये पत्र सरकारी तथा अर्द्ध-सरकारी कार्यालयों को लिखे जाते हैं


पुत्र का पिता को पत्र - Son's letter to father लिखने का तरीका देखे। 
पिता का पुत्र को पत्र - father's letter to son लिखने का तरीका देखे। 

महत्वपूर्ण प्रश्न - उत्तर

पत्र लिखते समय किन -किन बातों का ध्यान रखना अवश्य है ?

पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का अवश्य  ध्यान रखे -

. पत्र की भाषा सरल और शिष्ट होनी चाहिए

. एक ही बात को बार-बार नहीं दोहराना चाहिए |

. प्रत्येक वात एक - दूसरे से सम्बन्धित होनी चाहिए

. लेखनी शुद्ध और साफ होनी चाहिए।

 

पत्र मुख्यतः कितने प्रकार के होते है?

पत्र मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं -

. व्यक्तिगत पत्र 

. व्यापारिक पत्र

. सरकारी तथा अर्द्ध-सरकारी पत्र

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